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सन्मति औ विवेक का कोष - umesh shukla (Sahitya Arpan)

कवितागीत

सन्मति औ विवेक का कोष

  • 96
  • 2 Min Read

कल आज कल में बीत
रहे उम्र के दिन तमाम
जो मानव सेवा करें बस
उनका ही होता है नाम
अच्छे कर्म और व्यवहार
ही दुनिया को रहते याद
अच्छाई के लिए करता हर
व्यक्ति प्रभु से फरियाद
धन, दौलत या संपत्ति से
बड़ी है सत्कर्म की लकीर
वेद पुराण बताते यही कि
ये बदले इंसान की तकदीर
ईश्वर से निशि दिन मांगिए
सन्मति औ विवेक का कोष
ये जो साथ में रहे तो जीवन
बना रहेगा सदैव ही निर्दोष

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