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औलाद की ख़ातिर सबकुछ कर जाता है आदमी - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

औलाद की ख़ातिर सबकुछ कर जाता है आदमी

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माना कि औलाद की ख़ातिर सब - कुछ कर जाता है आदमी
ख़ुद जीना शुरू करनेसे पहले मग़र बशर मर जाता है आदमी
डॉ.एन.आर. कस्वाँ #बशर

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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