कहानीसामाजिकप्रेरणादायक
पाखंडी स्वामी
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कालिज से बहुत थकी आयी थी प्रो .अर्चना मन कर रहा था आराम से कुछ देर लेट लूं ।इतनी देर में डोर वैल बजी उसने देखा उसकी मित्र लतिका थी । उसने आते ही सुनाना शुरू कर दिया की एक स्वामी जी आये हुए हैं बहुत नाम है सब लोग जा रहे हैं तू भी चल शायद वहां तुझे कुछ शान्ति मिले अर्चना ने कहा लतिका जब शादी के बाद ही मेरे पति ने इतना प्रताड़ित किया था । उस समय मै अशान्त थी ।आज मै बहुत खुश हूं । अच्छी पगार है। कोई मानसिक चिन्ता नहीं ।मै कुछ समय के लिये बीते दिनों में पहुँच गयी । मेरी शिक्षा भी पूरी नहीं हुई मेरी शादी करदी । रचित बहुत अमीर था । वह जमींदार परिवार से ताल्लुक रखता था । रचित की मां ने अर्चना को एक शादी में देखा । कमसिन सी सुन्दर सी कन्या उनके मन को भा गयी । उन्होंने शादी के लिये अर्चना के मां पापा से बात की ।वह मध्यम वर्गीय थे । अर्चना के अतिरिक्त 4 बेटी और थी । उन्होंने सम्बन्ध स्वीकार कर लिया ।
रचित एक बिगड़ा नवाब था । पिता थे नहीं मां और दो बहने थी । बहनों की शादी हो गयी थी। वह सर्वगुण सम्पन्न था । शराब से लेकर लड़कियां तक सारे शौक उसको थे । सास से कहना बेकार था क्योंकि उनके लाड़ प्यार ने तो उसे इतना बिगाड़ दिया था । मैने जब भी विरोध किया मेरे शारीर की मरम्मत होती । अब तो मुझे परेशान करने के लिये लड़कियों को लेकर घर आने लगा । मैने हिम्मत करके अपनी शिक्षा जारी रखी और छोटी छोटी नौकरी करके उसको छोड़ दिया । जब शिक्षा पूरी होगयी ।अथक प्रयास से डिग्री कालिज में जाब मिल गया ,लतिका ने जब आवाज दी तो अर्चना ने
कहा नहीं मुझे नहीं चलना पर लतिका के अधिक कहने पर वह वहां पहुँची। बहुत भीड़ थी बाहर गाड़ियों की कतारे थी । सब बहुत तारीफ कर रहे थे । जब अन्दर पहुँची तो सामने बहुत सुन्दर स्टेज था । शोर होने लगा स्वामी जी आरहे हैं।
स्वामी जी आये उनके साथ उनकी बहुत सुन्दर शिष्याये थी । जैसे ही उसने देखा वह जड़ होगयी स्वामी और कोई नहीं उसका लम्पट पति था जिसको वह छोड़ आयी थी । उसका मन कर रहा था वह चीख कर सबको बताये इस ढोंगी स्वामी की करतूत पर कौन सुनता इस नासमझ भीड़ में और वह बाहर निकल
आई ।
स्वरचित
डा.मधु आंधीवाल एड.
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