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ये बात आख़िरी है। - आकाश त्रिपाठी (Sahitya Arpan)

कवितागजलगीत

ये बात आख़िरी है।

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  • 3 Min Read

तेरी राहों में मैं पत्थर,
अब और नहीं बनना चाहूं।
तेरे सीने पर बन खंज्जर,
अब और नहीं रहना चाहूं।
मैंने तो बिन सोचे समझे,
सिर्फ तुम्ही से प्यार किया।
पर तुम समझ सकी न मुझको,
रुसवा मुझको यार किया।
तेरी बंदिश की ए रहबर,
ये रात आख़िरी है।
ये बात आख़िरी है। ये बात आख़िरी है।

तुझको अब कोई नए बहाने,
नहीं बनाने होंगे,
बिन चाहत के, मुझसे चाहत..
नहीं जताने होंगे।
मैं तो समझा, तेरे दिल में,
नाम लिखा है मेरा,
तुझको लिख कर नाम मेरा,
अब नहीं मिटाने होंगे।
तुम खुश रहना, जहां भी रहना
मुलाक़ात आख़िरी है।
ये बात आख़िरी है। ये बात आख़िरी है।

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