Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
लेखन और गुरु चेला संवाद - भुवनेश्वर चौरसिया भुनेश (Sahitya Arpan)

कहानीव्यंग्यअन्य

लेखन और गुरु चेला संवाद

  • 582
  • 10 Min Read

लेखन और गुरु चेला संवाद
""""""'''''''"""''''''''''''''''"''"""""
चेला:- गुरूदेव लेखन क्या है?
गुरू:- लेखन वह कला है जिसमें भावनाओं को शब्दों के माध्यम से व्यक्त किया जाता है।
चेला:- गुरूजी कोई ऐसा उदाहरण जिससे अच्छे से समझ जाऊं कि लेखन क्या है?
गुरू:- जैसे तुम्हारा किसी तुमसे अधिक बलिष्ठ व्यक्ति से झगड़ा हो जाए और तुम उसका कुछ बिगाड़ न सको तब तुम उसे लिखकर थप्पड़ मार सकते हो
मैंने उसे अपनी बदले की भावना को पूरा करने के लिए कागजों में थप्पड़ मारा।
चेला:- गुरूदेव मैं कुछ समझा नहीं।
गुरू:- अभी समझने के लिए पूरी उम्र बाकी है।
चेला:- फिर अब मैं क्या करूं गुरूदेव?
गुरू:- अभी बस अध्ययन मनन करो धीरे-धीरे सब समझ में आ जाएगा कि लेखन क्या है?
चेला:- जी गुरूदेव अब मैं मन से पढूंगा और लिखूंगा।
गुरू:- फिर लिखने का नाम ले रहा है गधा कहीं का हां एक बात और तो मैं तुम्हें बताना भूल गया था।
चेला:- वो क्या गुरूदेव?
गुरू:- यही कि लिखने के लिए झूठ-सच का समावेश लेखकीय जीवन में बहुत जरूरी है अतएव थोड़ा सच और बहुत झूठ बोलने और लिखने से लिखने का हुनर स्वत: आ जाता है।
चेला:- लेकिन गुरूदेव मैं तो कई वरिष्ठ लेखकों के इंटरव्यू देखा और सुना हूॅं‌।वे कहते हैं पढ़ते-पढ़ते स्वत: ही लिखना आ जाता है।
गुरू:- कहां उलझ गया यार अभी तुम व्यर्थ के लफरों में मत पड़ो समय आने पर सब सीखा दूंगा कहां क्या लिखना है कब चुप रहना है।बस मेरी बात अपनी कान में जब भी सुनो दबा कर रखना।
चेला:- लेकिन गुरूदेव जब भी आपसे कुछ पूछता हूॅं तो सिर्फ मुंडी हिला देते हैं।
गुरू:- मेरी ना में भी हां है। और कोई जिज्ञासा?
चेला:- नहीं गुरूदेव, हां कहीं लिखते हुए अटक गया तो पूछ लूंगा।
गुरू:-फिर लिखने की बात करता है बेबकूफ कहीं का।
चेला:- गुरूदेव पिछली बार तो आपने गधा कहा था।
गुरू:- पिछली बार गधे पर लिखने बोला था इस बार बेबकूफ यानि उससे भी गया बीता पर लिखना है।
चेला:-जी गुरूदेव अब समझ गया कैसे लिखना है।
गुरू:-क्या समझा?
चेला:- मैं गधा और बेबकूफ दोनों हूॅं‌।
गुरू:- साबास बहुत जल्दी समझ गया तूं भी मेरी तरह मेरे ही नक्शे कदम पर चलेगा मुझे पक्का यकीन है।
चेला:-जी गुरूदेव, अच्छा मैं चलता हूॅं‌।
गुरू:-अपना ख्याल रखना और कुछ नया सीखने के लिए बीच-बीच में आते जाते रहना।

©भुवनेश्वर चौरसिया "भुनेश"

1599097014663_1599097995.jpg
user-image
नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 4 years ago

बेहतरीन कटाक्ष के साथ मजेदार रचना

भुवनेश्वर चौरसिया भुनेश4 years ago

हार्दिक आभार

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 4 years ago

मजेदार

भुवनेश्वर चौरसिया भुनेश4 years ago

हार्दिक आभार

दादी की परी
IMG_20191211_201333_1597932915.JPG