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बालक का हठ - नेहा शर्मा (Sahitya Arpan)

कविताबाल कविता

बालक का हठ

  • 87
  • 4 Min Read

माँ मुझे वो चन्द्रमा ला दो
गेंद बनाकर खेलूंगा
जब थककर मैं चूर हो जाऊं
तकिया बनाकर लेटूंगा
माँ मुझे वो चन्द्रमा ला दो
गेंद बनाकर खेलूंगा

क्यों नाहक हठ करता है
चंचलता क्यों करता है
कैसे ला दुँ चाँद तुझे मै
रात्रि में वो निकलता है

अच्छा चाँद नही ला सकती तो
चांदनी ही ला दो ना
लगा उसको घर आंगन में
उसको पल पल देखूंगा
माँ मुझे चाँद दिला दो
गेंद बना कर खेलूंगा

ला दूं तुझे चाँदनी अगर
चाँद कैसे रह पायेगा
तू रहेग़ा रोशनी में पर
सारा जग अंधकार में डूब जाएगा

अच्छा माँ मैं जान गया अब
नाहक जिद नही अपनाऊंगा
रोज़ रोज़ चन्दा संग बातें करके
अपना दिल बहलाऊँगा
नही चाहिए चाँद मुझे अब
अब मै उसको निहार सो जाऊंगा
सबसे अच्छी दोस्त मेरि तु
तुझको नही सताउंगा।-नेहा शर्मा

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Yogendra Mani

Yogendra Mani 1 year ago

बहुत खूब

Krishna Jadhav

Krishna Jadhav 2 years ago

बहुत अच्छी कविता

नेहा शर्मा1 year ago

शुक्रिया आदरणीय

प्रपोजल
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