कहानीसामाजिकअन्य
#बाल रचना
लघु - कथा
"मम्मा का मोबाइल "
सावन का महीना ही तो ऐसा होता है जब बेटियाँ मायके आ कर कुछ समय माँ के साथ गुजार पातीं हैं नेहा की माँ भी अपनी बिटिया व नन्ही नातिन निहू का बेसब्री से इंतजार कर रहीं थीं ।पर समय का खेल कुछ ऐसा वक्त आ गया कि एक वायरस से डर कर सबको सुरक्षा की दृष्टि से अपनें घरों में बन्द हो कर रहने पड़ा। पर दिल क्या करे ।
खैर विज्ञान ने इतनी तरक्की अब कर ली है कि कम से कम वीडियो काॅल द्वारा तो सब एक दूसरे से मिल दिल का हाल कह ही लेते हैं ।
तो वाकया कुछ यूँ है कि नन्ही निहू आज फिर वीडियो काॅल करनें पर मजे से फुदकते हुये बड़ी खुश नजर आ रही थी ।
नानी नें कारण पूछा --क्यों निहू क्या बात है बड़ी खुश लग रही हो।
निहू नें फुदकते हुये ही उत्तर दिया --नानी नानी !हमारा स्कूल में एडमीशन हो गया है।
नानी-- यह तो बहुत बढ़िया बात है।तुम्हारा स्कूल कहाँ है ।
निहू --मम्मा के मोबाइल में ।
नानी--अच्छा तुम्हारी किताबें कहाँ हैं ।
निहू---मम्मा के मोबाइल में ।
नानी नें आगे पूछा अच्छा तुम्हारी कुछ सहेलियां तो होंगी उनके नाम बताओ।
नन्ही निहू नें ठोड़ी पर हाथ रख कुछ सोंचते हुये सहेलियों के नाम बताने शुरू कर दिया।
नानी ख़ुश हो कर आगे उससे पूछ बैठी अच्छा जरा बताओ तो तुम्हारी ये सहेलियां रहती कहाँ है।नन्ही निहू नें फिर से फुदकते हुये उत्तर दिया "-मम्मा के मोबाइल में ।"
अब इन हालातों के कारण आगे आने वाले परिणामों के विषय में सोंचने की बारी नानी की थी।
इरा जौहरी
लखनऊ मौलिक