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" ऑनर किलिंग "💐💐 - सीमा वर्मा (Sahitya Arpan)

कहानीलघुकथा

" ऑनर किलिंग "💐💐

  • 112
  • 20 Min Read

# शीर्षक
"ऑनर किलिंग " 💐💐
" हाँ-हाँ क्या कर रही हो तुम ?" एक झटके से हाथ पकड़ रजत ने उस नीचे खींच लिया।
"आपने मुझे क्यों बचाया मर जाने दिया होता"
"ओहृ... ऐसे भी कोई करता है क्या? देखो तो दीए से जगमग! करती दीपावली की कितनी सुहानी रात... है" रजत समझ नहीं पाया आखिर आगे क्या कहे।
दीपावली की शाम लगभग नौ बजे रजत गोमती नदी के उपर बने पूल के फुटपाथ पर खड़ा शहर की जगमग रोशनी देखने निकला है। तभी उसकी नजर पूल की बांउड्री पर चढ़ी लड़की पर गयी जो बस छलांग लगाने ही वाली थी।
लड़की के चेहरे से उसका इरादा साफ नजर आ रहा है। बदहवास सी करीब २५-२६ बर्ष की लड़की जिसके क्लांत चेहरे पर सुहाग की निशानी के तौर पर छोटी सी बिंदी और हाथ में दो-चार चूड़ियां, बस यही दिख रही है।
लड़की ने बुझी आवाज में,
"तो और क्या करूँ? मेरे पास इसके अलावा कोई रास्ता नहीं है क्योंकि मेरे माता-पिता शक्तिशाली और क्रूर हैं"
"अच्छा वो कैसे ?" रजत बातचीत कर उसके मन को हल्का करना चाहता है।
"लड़कियाँ उनके लिए बोझ जो हैं झूठे मान-सम्मान के सामने जिनका कोई मोल नहीं"
लड़की के मुँह से जैसे सारी दुनिया भर की आवाज निकली।
उसकी व्यथा दूर करने के लिए रजत ने पूछ लिया,
"अच्छा तुम्हारा नाम क्या है यह तो बताओ तुम जान क्यों देना चाहती हो ?"
"मेरा नाम 'अदिती' है" लड़की अब फूट कर रो पड़ी,
"मैं उच्च जाति की और पिछड़े वर्ग के 'भास्कर' हमदोनों ने घरवालों की मर्जी के खिलाफ दो साल पहले कोर्ट में शादी की है,
"जिससे मेरे घरवाले हमारी जान के दुश्मन बन गये हैं तभी जान बचाने के डर से हम छिपते-छिपाते यहाँ आ गये और खुशी-खुशी जिंदगी गुजार रहे थे। यहाँ हमारा कोई जानने वाला या रिश्तेदार नहीं ,
"नहीं तो हमें कब का पहचान कर मार दिया गया होता "।
" अचानक पिछले एक हफ्ते से भास्कर गायब है एवं उसका फोन भी लगातार बंद आ रहा है"। अदिति भंयकर अवसाद में घिरी हुई है,
"कंही यह ऑनर किलिंग का मामला तो नहीं?" रजत इस विजातीय प्रेमविवाह में जकड़ता जा रहा है।
"बस इसलिए तुम जान दे रही हो ?"
"तो क्या करती ?" कहती हुई सुबक पड़ी।
" घबराओ मत, हम मिल कर उसे ढूंढ निकालेगें " बोल उसे लेकर अपने घर चला आया।
जहाँ उसके साथ परेशान हाल में अंजान लड़की को देख कर माँ ने पहले तो उसे पानी फिर बाद में चाय बना कर पिलाई। उसके बाद रजत के मुँह से सारी बात सुन ठंडी सांस भर कर बोलीं,
" आजकल जमाना बहुत खराब है। जहाँ देखो वहीं जाति और धर्म को लेकर मारकाट मची हुई है "
" यह तो ऑनर किलिंग का ही गंभीर मामला लगता है। पहले हमें पुलिस में एक रिपोर्ट लिखवानी होगी। जिससे इसके पति की खोज की जा सके"।
माँ ने अदिती को बेहद डरी हुई जान कर कहा,
" घबराओ मत हम तुम्हारे साथ है बेटा तुम दोनों ने मिलकर बहुत हिम्मत से समाज में फैली हुई रूढिवादिता को तोड़ने का काम किया है"
"अब हम तुम्हें अकेले नहीं छोड़ सकते। जब तक तुम्हारे पति नहीं मिल जाते तुम हमारे साथ ही रहोगी"।
अदिती की आंखे भर गयी। वह समझ गयी की वो 'मानवतावादी' सहृदय लोगों के बीच पंहुच गयी है। ये लोग बेगाने हो कर भी उसके लिए कितने चिंतित हो कर उसका कितना ध्यान रख रहे हैं।
इस बीच उसका फोन बज उठा। कंही उसके घरवालों का ना हो यह सोच कर उसके हाथ-पाँव कांपने लगे।
लेकिन स्क्रीन पर भास्कर का नाम देख कर ही उसमें नवजीवन का संचार हो गया। सभी उसकी तरफ आशा भरी नजरों से देखने लगे।
"हलो " डरी-डरी सी घबराती हुई आवाज में,
" तुम कहाँ हो पिछले हफ्ते से, मारे दुख और हताशा से भरी वह झल्ला पड़ी, आज कितनी बड़ी अनहोनी घट जाती अगर मुझको 'रजत भाई' नहीं मिलते"
कह उसने फोन माइक पर कर दिया। उधर से भास्कर की दबी और फंसी सी आवाज,
"क्या करता मैं उन लोगों के चंगुल में फंस गया था। यहाँ के किसी पुलिस वाले ने मुझे पहचान कर तुम्हारे घर पर खबर कर दी "।
"जहाँ से जबरन ले जा कर वे लोग मुझे बुरी तरह मारने और धमकाने लगे वो तो दिवाली का दिन था, माता लक्ष्मी के आशीर्वाद से किसी तरह भाग कर पुलिस स्टेशन आ पंहुचा हूँ और उन सबों के खिलाफ रिपोर्ट लिखवा दिया है,
" अभी भी तुम्हें थाने से ही कॉल कर रहा हूँ, तुम जहाँ भी हो वहीं रुकी रहो।"
इस सब से फुर्सत पाते ही तुम्हारे पास आता हूँ "
" देखो अदिती जो भी होता है ईश्वर की कृपा से ठीक ही होता है। हम दोनों भी आखिर कितने दिनों तक इस तरह छुपते-छिपा कर रहते ",
अदिती निशब्द अपने जीवनसाथी की बात सुन रही है आंखों से अनवरत आंसू झरने के समान बह रहे हैं।
उसकी इस खुशी के रुदन में रजत की माँ भी साथ निभा रही हैं।
रजत ने पूजाघर से मिठाइयों से भरी थाल ला कर टेबल पर रख दी,
" लो खा लो मेरी अदिती बहन , माँ लो आप भी मुँह मीठा करो, कह कर एक मिठाई खुद भी मुँह में डाल ली है।

सीमा वर्मा /स्वरचित

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Anjani Kumar

Anjani Kumar 3 years ago

वाह सार्थक रचना

सीमा वर्मा3 years ago

बहुत अच्छी रचना

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

भावपूर्ण और मर्मस्पर्शी..! समाज का दोहरा चेहरा.

सीमा वर्मा3 years ago

जी हार्दिक धन्यवाद सर 💐💐

दादी की परी
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