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ये स्पर्श - Deepti Shukla (Sahitya Arpan)

कवितागीत

ये स्पर्श

  • 143
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मैंने प्रीत दा पानी चखदा
ये स्पर्श
निर्झर झरते मीठे पानी सा
ये स्पर्श
तन पे लगती ठण्डी पुरवाई सा
ये स्पर्श
मन को भिगोती सौंधी माटी सा
ये स्पर्श
ओढ़ी चूनर रंग धानी सा
ये स्पर्श
महकी महकी रात की रानी सा
ये स्पर्श
सुन तुझे चिड़िया का चहचाने सा
ये स्पर्श
लहरो पे चमकती आशा सा
ये स्पर्श
परो को सुकून से भरती नई उमंगो सा
ये स्पर्श
गमगीन रातो में झिलमिल सितारों सा
ये स्पर्श
धूप में संग चलते अपनों के काले सायों सा
ये स्पर्श
बंद आँखों से देख तुझे, मेरे मंद मंद मुस्काने सा
ये स्पर्श
गीतो में तुझे पिरोये अनकहे शब्दों के मोतियो सा

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