Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
गृहस्थी - Anju Gahlot (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

गृहस्थी

  • 174
  • 4 Min Read

स्वरचित कविता-"गृहस्थी "

पाणिग्रहण से शुरू यह सफर-
नए साथियों का बसेगा रे घर,
सुख दुःख भी उनका बराबर हुआ-
गृहस्थी की होगी नई एक सहर.

दर पे सजन के सजे बंदनवार-
स्वागत करेगा सजनिया का द्वार,
शहनाई रोकर भी देगी दुआएं-
मिले हर जनम में प्रियतम का प्यार.

घर के आंगन की झूमेगी बगिया-
पाखी करेंगे मधुरिम कनबतियां,
ससुर,सास,देवर,ननद होंगे आतुर-
चांदी से दिन होंगे,स्वर्णिम सी रतियां.

समय बीत जाएगा हंसते गाते-
होंगी फिर किलकारियों की बातें,
गोद में मचलेगा नन्हा खिलौना-
सुख पाएगा वो सबको थकाते.

ढलेंगे तन-मन में सभी संस्कार-
अमित नेह,सहयोग,सुगढ़आचार,
परिवार सारा थिरकने लगेगा-
आदर्श रचकर सफल होगा प्यार.

गृहस्थी का है यही आधार-
मान,प्रतिष्ठा, सद्व्यवहार,
सभी बड़ों का होवे आदर-
छोटों को भी मिले दुलार.

_______
स्वरचित-
डा.अंजु लता सिंह
नई दिल्ली

logo.jpeg
user-image
नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 4 years ago

bahut khub

प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
चालाकचतुर बावलागेला आदमी
1663984935016_1738474951.jpg
वक़्त बुरा लगना अब शुरू हो गया
1663935559293_1741149820.jpg