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कविताअतुकांत कविता
पानी पानी को कैसे मारे मै से मे बतला दे कैसे हारे राधे तूही अब मोहे राह दे मोरा मन अब तोहि सु साधे एकै साधे सब सधै -रहीम एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय। ‘रहिमन’ मूलहि सींचिबो, फूलहि फलहि अघाय॥