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" तीन बुत " 💐💐 - सीमा वर्मा (Sahitya Arpan)

कहानीलघुकथा

" तीन बुत " 💐💐

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  • 2 Min Read

छोटीसी-लघुकथा
#शीर्षक
" तीन-बुत"
" बुरा मत सुनो!","बुरा मत कहो!","बुरा मत देखो!"
"ऐसा बाबा ने कहा था... " मध्यरात्रि में वे आपस में बातें कर रहे।
पास खड़ा चौथा ठठा कर हँसा ,
"तुम्हारी कौन सुनता है अब ? देखो मुझे ,
" मुझे बुरा नहीं कहो "
" मुझमें बुराई मत ढूंढों "
" मेरी बुराई मत सुनो"
"तुम! तुम कौन हो भाई ? तीनों बुत एक साथ बोल पड़े।
"कौन मैं ?"
"मैं आज का सच ! "

सीमा वर्मा /स्वरचित

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Anjani Kumar

Anjani Kumar 2 years ago

बिल्कुल यथार्थ

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

बहुत सुन्दर..!!

दादी की परी
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