कहानीलघुकथा
छोटीसी-लघुकथा
#शीर्षक
" तीन-बुत"
" बुरा मत सुनो!","बुरा मत कहो!","बुरा मत देखो!"
"ऐसा बाबा ने कहा था... " मध्यरात्रि में वे आपस में बातें कर रहे।
पास खड़ा चौथा ठठा कर हँसा ,
"तुम्हारी कौन सुनता है अब ? देखो मुझे ,
" मुझे बुरा नहीं कहो "
" मुझमें बुराई मत ढूंढों "
" मेरी बुराई मत सुनो"
"तुम! तुम कौन हो भाई ? तीनों बुत एक साथ बोल पड़े।
"कौन मैं ?"
"मैं आज का सच ! "
सीमा वर्मा /स्वरचित