Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
पैसों की खनक - Anju Gahlot (Sahitya Arpan)

कहानीसामाजिक

पैसों की खनक

  • 307
  • 7 Min Read

स्वरचित लघुकथा-
शीर्षक-"पैसों की खनक"

-इस बार लाॅकडाउन खुलते ही हम बालकों को लेके गांव आ ही गए अम्मां तुम्हरे पास.अब न जइहैं बस..
काकी का इकलौता जवान बेटा बंसी मां की चिरौरी करते हुए बोला.
-जे तो हमको उतई छोड़के आ रए थे मांजी.
हमउ न माने.
उसकी पत्नी सुषमा भी झट से बोली.
गत सात वर्षों से शहर में जा बसे बेटे,बहू और चार वर्षीय पोते टीटू को आज जी भरकर देखते रहने का मोह-संवरण नहीं कर पा रही थीं कबूली काकी.
-दादी!वाॅट इज दिज?
-दिस इज लेमन प्लांट.
-वाॅव..नन्हीं हथेलियां पटपटाते हुए बालक उछला.
-कागजी निम्बु का खट्टा मीठा अचार दुई सौ पेटी,बसंती निम्बु का सरबत चार सौ जार अउर दो मर्तबान घर भी पहुँचा दीजो आज
ही..बच्चा लोगन आए हैं सहर से.
एक सुलझी महिला व्यापारी की तरह ही काकी आल्हादित सी होकर मोबाइल कान से लगाए हुए ही बोलीं.
-इनकी तो सबरी दुकान चौपट हुई गई मांजी.जे मुसीबत का आई बस कपड़े लत्ते कछु बिकेई ना रए,जो कपड़े लत्ते दुकान में हते,सबरे चूहा काट गए.रोटी के तो लाले पड़ गए हते मांजी.
-राम जी की दी गई मौज आ रई है ,अब ना जैयो घर छोड़कर.
कहते हुए काकी ने पोते को गोद में खींचकर बैठाया और बिल्ली के बच्चे को कटोरी में रखा दूध देते हुए कहा.
बेटे बहू ने माथा झुकाकर मां के पैर छुए और आशीष लिया.
आंखों के आगे नींबू के लहलहाते हुए पौधों की मदमस्त महक और कानों को ढेर सारे पैसों की खनक महसूस होने लगी थी बंसी को अब.
_______
रचयिता-
डा.अंजु लता सिंह
नई दिल्ली

FB_IMG_1598679591809_1598680265.jpg
user-image
नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 4 years ago

ji aapki ye rachna sahitya arpan me padhi hai acha likha hai aapne

दादी की परी
IMG_20191211_201333_1597932915.JPG