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कविताअतुकांत कविता
तोरे बिरह को ना अब और गाऊ ओ कान्हा मैं तेरी राधा बन जाऊ बंद करू जो अंखिया तुझको देखू तुझको पाऊ ओ कान्हा मैं तेरी राधा बन जाऊ अधरो के तेरे मीठे बोल बन जाऊ जो तू रूठे तुझे और मनाऊ ओ कान्हा मैं तेरी राधा बन जाऊ