कवितालयबद्ध कविता
माँ तुम मुझको भी,सुला दो ना लोरी गाकर
माँ मुझे भी तुम्हारी,आँचल का सहारा देना
मेरे मौला मुझे मेरी,जन्म देने वाली याद नही
मैं ममता का भूखा हूँ,माँ मुझको दोबारा देना
मुझे बनाने वाली वो, मेरी जिंदा भगवान कहा
जग को बनाने वाले,एक छोटा सा इशारा देना
खुदा देखो मेरी सुनकर,अर्जी अब करो ना पूरी
तेरे हाथों ही तो है होता,कश्ती को किनारा देना
मैं नन्हा सा लावारिस,भटक रहा दरबदर होकर
अच्छा लगेगा तुझको,कंधों पर बोझ सारा देना
स्वरचित-संदीप शिखर मिश्रा। #वाराणसी(U. P)