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" कृष्ण दीवानी ताज बीबी " 💐💐 - सीमा वर्मा (Sahitya Arpan)

कहानीऐतिहासिक

" कृष्ण दीवानी ताज बीबी " 💐💐

  • 273
  • 13 Min Read

"मेरा गाँव मेरा देश "

😙ताज बीबी का कृष्णप्रेम...
जब भी प्रेम की बात आती है। तो सबसे पहले नाम आता है। राधा-कृष्ण का इसके बाद अगर कोई प्रेम दीवानी थी तो वो थी मीरा।
जिसने अपना पूरा जीवन कृष्ण प्रेम में समर्पित कर दिया। लेकिन इन दोनों के अलावा भी कृष्ण की परम भक्त या प्रेमिका थी जिसका जिक्र बहुत कम जगहों पर मिलता है।

आपको ये जानकर आश्चर्य होगा की भगवान कृष्ण की ये प्रेमिका हिंदू नहीं बल्कि एक मुस्लिम थी। ताज बीबी नाम की इस महिला को भगवान कृष्ण से इतना प्रेम था

कि उसने कहा था कि....
हूं तो मुगलानी, हिंदआनी ह्वै रहौंगी मैं?

वृन्दावन छोड़ अब कितहूँ न जाऊंगी,

बांदी बनूंगी महारानी राधा जू की,

तुर्कनी बहाय नाम गोपिका कहाऊंगी!

वह हमेशा यही गाती थी कि हूं तो मैं मुगलानी,

लेकिन कृष्ण के प्रेम के बिना जीवित नहीं रह सकती।

हे नंद के मोहक पुत्र, मैं तुम से इतना सम्मोहित हूं

कि तुम्हारे बिना मेरा जीवन निस्सार है।

मैं मुगलानी हूं, लेकिन हिंदुआनी होना भी पड़े तो कोई बात नहीं,

मैं कृष्ण के प्रेम में हिंदुआनी भी हो जाऊंगी।

यह छैल-छबीला देवता सब रंग में रंगीला है

और मैं उसके बिना जी नहीं सकती।

वह चित्त का बेहद अड़ीला और सम्मोहक है

और सब देवताओं से बिलकुल ही न्यारा है।

कौन थी ताज बीबी :-

माना जाता है कि ताज बीबी अकबर की पत्नी थी और वह तमाम बंदिशों के बाद भी कृष्ण प्रेम के गीत गाती रहती थी।

वहीं कुछ लोगों का मानना है कि ताज बीबी अकबर की नहीं, अकबर के बेटे जहांगीर की पत्नी थी और वह मूलतः हिन्दू थी।

लेकिन ताजबीबी ने अपने आप को हर जगह मुगलनी कहकर संबोधित किया है।

ताज बीबी ने किसी हिन्दू से शादी की या नहीं यह तो प्रमाणित नहीं है, लेकिन हिन्दी साहित्य के रीतिकाल से पहले के दस्तावेजों में उसके पद मिलते हैं,

जो उसके कृष्ण प्रेम के बारे में बहुत कुछ बताते हैं। कहते हैं कि एक बार ताज बीबी काबा की यात्रा पर जा रही थीं,

लेकिन रास्ते में शंख, घंटे और घड़ियाल की ध्वनियां आईं तो वह मंदिर जा पहुंचीं।

पंडितों ने उन्हें मंदिर में प्रवेश से रोक लिया तो वे वहीं बैठकर गाने लगीं।

माना जाता है कि कृष्ण ने उन्हें वहीं दर्शन दिए और इसके बाद वे हज के लिए नही गई।

ताज बीबी कृष्ण के प्रति अपने प्रेम का इजहार बहुत अनूठे और अलग ढंग से करती हैं,
वह निर्भीकता से कहती है कि.....

सुनो दिल जानी, मेरे दिल की कहानी तुम,
दस्त ही बिकानी, बदनामी भी सहूंगी मैं।

देवपूजा ठानी मैं, नमाज हूं भुलानी,
तजे कलमा-कुरान साड़े गुननि गहूंगी मैं।।

नन्द के कुमार, कुरबान तेरी सुरत पै,
हूं तो मुगलानी, हिंदुआनी बन रहूंगी मैं।।

इन गाथाओं से ये सिद्ध हो जाता है कि प्रेम की न तो कोई जाति होती है और न ही कोई धर्म होता है।
ये तो वो आजाद परिंदा होता है जो बिना किसी बंधन के निर्विध्न आसमान में लंबी उड़ान भरता रहता है।
जय हो श्यामाश्यामजू...😙

गूगल बाबा के ज्ञान पर आधारित / सीमा वर्मा

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Anjani Kumar

Anjani Kumar 3 years ago

बहुत बढ़िया

सीमा वर्मा3 years ago

जी हार्दिक धन्यवाद

Roohi Shrivastava

Roohi Shrivastava 3 years ago

Wah 🙏🙏

सीमा वर्मा3 years ago

जी हार्दिक धन्यवाद

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

अत्यंत सुन्दर रचना..!

सीमा वर्मा3 years ago

जी हार्दिक धन्यवाद

Shekhar Verma

Shekhar Verma 3 years ago

bahut achchi

सीमा वर्मा3 years ago

जी धन्यवाद

सीमा वर्मा3 years ago

जी हार्दिक धन्यवाद

सीमा वर्मा3 years ago

हार्दिक धन्यवाद

Sumi Shweta

Sumi Shweta 3 years ago

Very beautiful❤

सीमा वर्मा3 years ago

जी हार्दिक धन्यवाद

दादी की परी
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