Or
Create Account l Forgot Password?
कविताअतुकांत कविता
"आंसू " आंसू बोलते हैं और खूब बोलते हैं पढ़ने के लिए उतनी रफ्तार होनी चाहिए जब से सब पढ़ पायें, वह ढलान पर बीचों बीच समाहित हो जाती है और लोग बस आंसू के निशान को देखते रह जाते हैं स्वरचित-वन्दना सिंह-वाराणसी
सुन्दर