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भाग ८
रागिनी की चीख सुनकर अनिकेत अन्दर गया । राजीव अब तक लिफ्ट से नीचे जा चुका था ।
रसोई में रागिनी हाथ में खाली पानी की बोतल लेकर घबराई हुई सी खड़ी थी । अनिकेत ने आसपास नजर डाली लेकिन उसे कुछ दिखाई नहीं दिया ।
“क्या हुआ मम्मी ? आप इस तरह से क्यों चीखी ?” अनिकेत ने उसके हाथ को पकड़ते हुए पूछा ।
अनिकेत के हाथ का स्पर्श पाकर रागिनी जैसे अचानक ही किसी बुरे सपने से जाग गई । वो अभी भी डरी हुई थी ।
अनिकेत ने पानी की बोतल उसके हाथ से ले ली और फिर से पूछा, “लगता है आपको फिर से अँधेरे में कुछ होने का भ्रम हुआ है। आपको डर लगता है तो फिर टीवी पर मर्डर वाली और भूत वाली फिल्में देखती क्यों हो ?”
रागिनी ने डरी हुई आवाज में जवाब दिया, “मैंने वो वहाँ पर शालिनी जीजी को देखा था अभी।”
रागिनी का जवाब सुनकर अनिकेत परेशान होते हुए दीवार पर लगे आर. ओ. से बोतल में पानी भरते हुए कहने लगा, “कम ऑन मम्मी । ये आपने दिमाग का भ्रम है और कुछ भी नहीं । बुआजी वहाँ अपने घर पर है यहाँ आपको कैसे दिख सकती है ? आप भूत वाली मूवीज देखना बंद करो ।”
रागिनी मन ही मन हनुमान चालीसा का पाठ करने लगी और फ्लैट का दरवाजा लॉक कर अनिकेत के साथ नीचे आ गई ।
राजीव रागिनी और अनिकेत के साथ जब अपने घर से निकला तो रात के एक बज रहे थे। राजीव का घर शहर के उत्तरी भाग में था और शालिनी जिस एरिया में रहती थी वो शहर के पश्चिम भाग में था । कार को फुल स्पीड में चलाने पर भी उसे इस्कोन हाइट्स रेसीडेंसी तक पहुँचते हुए करीबन पच्चीस मिनिट का वक्त लगने ही वाला था ।
कार फुल स्पीड में चलाते हुए वो मन ही मन भगवान से शालिनी के लिए प्रार्थना किए जा रहा था । राजीव के साथ उसकी बगल में आगे की सीट पर बैठी हुई रागिनी अपने डर को भूल चुकी थी और अब वो राजीव को मन ही मन प्रार्थना करते हुए देख रही थी । उसने कुछ जानने के लिए राजीव से पूछा, “मनीष जी जीजी को कौन से अस्पताल लेकर गए है ? तुमने कुछ पूछा भी ?”
राजीव ने रागिनी की तरफ एक पल के लिए देखा और बोला, “मैंने पूछा था लेकिन तब उन्होंने कुछ निर्णय नहीं लिया था I”
रागिनी को राजीव का जवाब कुछ अधूरा सा लगा। उसने आगे पूछा, “निर्णय नहीं लिया था मतलब...? मनीष जी उन्हें अस्पताल लेकर नहीं गए ?”
राजीव ने आगे स्पीड ब्रेकर आने पर कार की स्पीड धीमी की और फिर रागिनी के सवाल का जवाब दिया, “मुझे भी कुछ समझ नहीं आ रहा है । मेरे पूछने पर उन्होंने कुछ बताया नहीं और जल्दी से आ जाने को कहा ।”
रागिनी को बात कुछ समझ नहीं आ रही थी । वो परेशान हो गई और बोली, “तुम्हें पूरी बात जाननी चाहिए थी न ? तुम्हारी बहन है वो । बाहर का इन्सान इस मामले करके भी कितनी मदद करेगा ? आखिर ये जीजी की जिन्दगी का सवाल है ।”
रागिनी के सवाल सुनकर राजीव और ज्यादा परेशान हो गया और थोड़ी ऊँची आवाज में बोला, “तुम हर बार मुझे ही दोष देती हो । जैसे हर बार मेरी ही गलती हो । क्या जरूरत थी दीदी को इतनी सारी नींद की गोलियाँ एक साथ खा लेने की ? मैं फोन न कर सका लेकिन वो भी तो एक बार फिर से मुझे फोन कर बात कर सकती थी ?”
राजीव का गुस्सा देखकर रागिनी ने उसके कंधे पर अपना हाथ रखा और उसे ठंडे दिमाग से काम लेने के लिए कहते हुए बोली, “राजीव, ये सही वक्त नहीं है ये सब बातें करने का । अभी जो हो गया है उसे सम्हालने की कोशिश करो । मुझे डर इस बात का ही है कि अगर जीजी को वक्त पर मेडीकल ट्रीटमेंट नहीं मिली तो कुछ भी हो सकता है।”
अनिकेत पीछे की सीट पर बैठा हुआ रागिनी के मोबाइल से किसी के साथ व्हाट्सएप पर चैट कर रहा था और अपने मम्मी डैडी के बीच हो रही बातों को भी सुन रहा था । वैसे तो रागिनी ने उसे उसकी बुआ के इस घटनाक्रम के बारें में थोड़ी सी हिंट दे दी थी लेकिन अब रागिनी और राजीव के बीच होती बातों को सुनकर उसे रोना आ रहा था ।
तभी अचानक से वो चीख उठा, “मम्मी...डैडी ।”
उसकी चीख सुनकर राजीव और रागिनी दोनों ने एक साथ पीछे मुड़कर उसे देखा । अनिकेत का ध्यान अभी भी मोबाइल स्क्रीन पर था लेकिन उसके चेहरे के हावभाव कुछ ठीक नहीं थे ।
रागिनी ने अपनी सीट से पीछे की तरफ झुककर अनिकेत से पूछा, “क्या हुआ ?”
अनिकेत ने रागिनी की बात का कोई जवाब न देकर मोबाइल उसके हाथ में रख दिया । रागिनी ने मोबाइल पर व्हाट्सएप पर अनिकेत की चैट पढ़ी और घबराकर एक डर के साथ बोली, “हे भगवान ! ये क्या करने जा रहा है तू ?”
रागिनी के बोलने का मतलब राजीव को समझ न आया लेकिन उसे उसकी आवाज में एक दर्द महसूस हुआ । उसने कार ड्राइव करते हुए रागिनी की ओर देखा और पूछने लगा, “क्या किया अनिकेत ने अब ? तुम्हें कितनी बार कहा है उसे हर वक्त अपना मोबाइल मत दिया करो ।”
इस पर रागिनी अपनी आँखों में आ गए आँसुओं को पोंछते हुए राजीव से कहने लगी, “उसने वो किया है जो तुम नहीं कर सके । व्हाट्सएप पर काव्या से चैट कर रहा था । काव्या ने जवाब दिया है । शालिनी जीजी इज नो मोर ।”
रागिनी ने जैसे ही कहा राजीव ने कार की स्पीड धीमी कर उसे रोड के एक साइड ले जाकर ब्रेक लगाया और कार “खरर..” की आवाज के साथ रूक गई ।
राजीव ने रागिनी की तरफ देखा और फिर उसका ध्यान पीछे बैठे अनिकेत की तरफ गया । दोनों की आँखों से आँसू बह रहे थे । तभी अचानक वो कार का दरवाजा खोलकर बाहर निकल गया और दरवाजा बंदकर कार के पास ही खड़ा हो गया । उसके पीछे रागिनी भी फौरन कार से बाहर निकल आई और राजीव के पास आकर खड़ी हो गई ।
अनिकेत थोड़ी देर कार के अन्दर बैठा रहा फिर वो भी बाहर निकलकर राजीव और रागिनी के पास आकर खड़ा हो गया । राजीव अपने दोनों हाथ बाँधे हुए ऊपर खुले आकाश की तरफ देख रहा था । उसकी आँखों में आँसू नहीं थे लेकिन अन्दर ही अन्दर उसका जी जोर से रोने को कर रहा था । जवान होते अपने बेटे की हाजरी में वो खुलकर रो नहीं पा रहा था ।
इस वक्त हाइवे वे की तरफ जाने वाला ये रोड सुनसान था । कोई भी वाहन यहाँ से आता या जाता हुआ नजर नहीं आ रहा था । राजीव ने जिस जगह अपनी कार खड़ी की थी उस जगह से थोड़ी दूरी पर स्ट्रीट लाइट लगी हुई थी । वहाँ से आ रही रोशनी राजीव के चेहरे पर पड़ रही थी ।
रागिनी राजीव के और नजदीक आ गई धीरे से राजीव के कंधे पर हाथ रखकर उदास स्वर में उसका नाम पुकारा, “राजीव ।”
इस पर राजीव ने उसकी तरफ देखा । राजीव की आँखों से आँसू निकलने वाले ही थे कि उसने अपने पैंट की जेब में रुमाल निकालने के दाहिना हाथ डाला । वो रुमाल घर पर ही भूल आया था । उसने अपने हाथ से ही आँखों के कोरो पर रुकी हुई आँसू की बूंदें को पोंछने के लिए हाथ चेहरे की तरफ बढ़ाया लेकिन इतनी देर में रागिनी ने अपनी साड़ी के पल्लू से उसके आँसू पोंछ डाले । उन दोनों से कुछ दूरी पर खड़ा अनिकेत ये सब देख रहा था ।
राजीव को बहुत ज्यादा भावुक होते देखकर रागिनी ने अनिकेत को आवाज लगाईं, “बेटा, मेरी सीट पर पानी की बोतल रखी होगी । जा, जाकर ले आ ।”
रागिनी की बात सुनकर अनिकेत ने कार की दूसरी तरफ जाकर कार का दरवाजा खोला और सीट पर रखी हुई पानी की बोतल हाथ में ले ली । राजीव के पास आकर वो बोतल का ढक्कन खोलकर राजीव के आगे बोतल बढ़ाते हुआ बोला, “डैडी ।”
राजीव ने अपना हाथ आगे बढ़ाकर अनिकेत के हाथ से पानी की बोतल ले ली और और थोड़ा सा पानी पी लिया । फिर उसने अपनी हथेली में थोड़ा सा पानी लिया और अपने चेहरे को धो लिया । पानी की बोतल को कार के बोनेट पर रखकर वो फिर से अपनी पैंट की जेब से रुमाल निकालने जा ही रहा था कि अनिकेत ने अपने जींस की पॉकेट से रुमाल निकालकर उसके आगे कर दिया ।
राजीव ने रुमाल उसके हाथ से लेकर प्यार से उसके कंधे पर अपना बायाँ हाथ रखा और दाहिने हाथ से अपना चेहरा रुमाल से पोंछने लगा । राजीव के चेहरा पोंछ लेने के बाद अनिकेत बोला, “डैडी, हिम्मत रखिये ।”
अनिकेत के इतना कहने पर राजीव अपनी भावनाओं को रोक नहीं सका और उसने अनिकेत को अपने गले लगा लिया । राजीव की आँखों से आँसू अब लगातार बहने लगे ।
अनिकेत की भी यही हालत थी । उसने भी अपने आप पर अब तक काबू कर अपनी भावनाओं को रोक रखा था लेकिन अब अपने पापा की हिम्मत टूटते देखकर वो भी अपने आँसू नहीं रोक सका । बाप और बेटे को एक दूसरे को हिम्मत देते देखकर रागिनी अपनी आँख से बहते आँसुओं को साड़ी के पल्लू से पोंछकर उनके पास गई और दोनों की पीठ पर हाथ फेरने लगी ।
अनिकेत अब रागिनी से लिपटकर रोने लगा । तभी राजीव ने अपनी भावनाओं पर काबू कर आगे बढ़कर अनिकेत को सम्हाला और रागिनी से उसे अलग किया । रागिनी ने पीछे मुड़कर कार के बोनेट पर रखी पानी की बोतल उठा ली और अनिकेत को दे दी । अनिकेत ने थोड़ा सा पानी पी लिया और बोतल वापस रागिनी को दे दी । रागिनी ने आँखों के इशारे से राजीव से पानी के लिए पूछा । उसने मना किया तो बचा हुआ थोड़ा सा पानी वो खुद पी गई ।
तभी राजीव ने अपनी कलाई घड़ी पर नजर डाली और बोला, “डेढ़ बज रहा है । चले अब ? वहाँ काव्या न जाने किस हालत में होगी ?”
राजीव ने कार का दरवाजा खोला और अन्दर बैठ गया । अनिकेत भी खोलकर पीछे की सीट पर बैठ गया और रागिनी चलकर कार की दूसरी तरफ जाने लगी । तभी रोड पर से एक जवान लड़का फुल स्पीड में बाइक चलाता हुआ रागिनी के बिलकुल पास से गुजरा । रागिनी रोड की साइड पर थी लेकिन वो लड़का उसके बहुत ही पास से निकला था । रागिनी अगर कार के बोनेट पर अपना हाथ नहीं रखती तो शायद वो गिर जाती । उसने आगे दूर जाते हुए उस लड़के पर नजर डाली लेकिन वो कम रोशनी में कुछ खास नहीं देख पाई लेकिन उस लड़के ने पहन रखी व्हाइट कलर की टी शर्ट उसे साफ नजर आ गई ।
रागिनी उसे नजरअंदाज करके कार का दरवाजा खोलकर राजीव की बगल वाली सीट पर बैठ गई और राजीव ने कार आगे बढ़ा ली । दो मिनिट के बाद आगे जाकर झाँसी की रानी सर्कल से राजीव ने कार दायीं तरफ मोड़ ली और फिर करीबन आधे किलोमीटर के बाद बायीं तरफ मोड़कर एक छोटे से कच्चे रास्ते से आगे धीरे धीरे आगे बढ़ने लगा । तभी रागिनी ने कार के आगे जा रहे व्हाइट टीशर्ट पहने हुए बाइक सवार को देखकर राजीव से कहा, “ये वो ही लड़का है जो अभी कुछ देर पहले मेरे बिलकुल पास से स्पीड से बाइक चलाकर निकला था ।”
इस पर राजीव ने उसे पूछा, “रुककर उससे बात करता हूँ मैं उससे । ऐसे लड़को तो सबक सिखाना ही चाहिए ।”
रागिनी ने जवाब दिया, “नहीं, रहने दो राजीव ।”
इस्कोन हाइट्स रेसीडेंसी की तरफ जाने वाला ये रास्ता इतना छोटा और खराब था कि आगे चलने वाले को पीछे से आ रहे वाहन को साइड देने में बहुत परेशानी होती थी । राजीव बहुत ही धीमी गति से गड्डों से निकलते हुए कार उस बाइक सवार के पीछे-पीछे चला रहा था ।
तभी रागिनी बोली, “हॉर्न बजाकर उसे साइड देने को बोलो ना ?”
राजीव का ध्यान कार चलाते हुए सामने की तरफ था । वो बोला, “रास्ता बहुत ही ज्यादा खराब है । वो चाहकर भी हमें साइड नहीं दे पायेगा । अँधेरा भी कितना है इस तरफ । एक मिनिट की ही बात है अब । हम पहुँच चुके है । रेसीडेंसी का बोर्ड वो सामने ही दिखाई दे रहा है।”
इस्कोन हाइट्स रेसीडेंसी के गेट के पास पहुँचकर वो बाइक सवार रूक गया और बंद गेट खुलवाने के लिए हॉर्न बजाने लगा । हॉर्न की आवाज सुनकर अन्दर से वॉचमेन उठकर गेट के पास आया और उससे पूछने लगा, “किसका काम है इस वक्त ?”
राजीव ने भी अपनी कार उसकी बाइक के पीछे लाकर रोक दी थी । रागिनी उस बाइक सवार को देखकर राजीव से कहने लगी, “ये इतनी रात को इस वक्त किसके घर आया होगा ?”
इस पर राजीव बोला, “तुम्हें हर वक्त सभी की चिन्ता रहती है । होगा कोई और हो सकता है यहीं रहता हो ।”
बाइक को साइड स्टैंड पर लगाकर वो लड़का गेट के पास आ गया और वॉचमेन के सवाल का जवाब देते हुए बोला, “बी ७०१”
उसका जवाब सुनकर वॉचमेन ने अपनी तसल्ली के लिए फिर से उसे पूछा , “बी ७०१... काव्या मैडम के यहाँ जाना है ?”
“हाँ” उस लड़के ने जवाब दिया ।
वॉचमेन जानता था कि काव्या उसकी मम्मी के साथ अकेली रहती है । इसी से उसने गेट न खोलकर फिर से उस लड़के से पूछा, “इतनी रात को क्या काम है उनसे ?”
वॉचमेन से उस लड़के को बहस करते देखकर राजीव ने कार का हॉर्न बजाया । उस लड़के और वॉचमेन दोनों ने ही कार की तरफ देखा । राजीव ने फिर से दो बार हॉर्न बजा दिया ।
अब वॉचमेन ने उस लड़के से कहा, “तुम एक तरफ हटो । वो साब से बात करने दो मुझे ।”
वॉचमेन की बात सुनकर वो लड़का गुस्सा हो गया और जोर से बोला, “कार देखकर बड़ी रिस्पेक्ट दे रहे हो उनको ? मैं उनसे पहले आया हूँ । पहले मुझसे बात करो ।”
वॉचमेन बोला, “इतनी रात को कारण जाने बिना काव्या मैडम के घर नहीं जाने दे सकता । उनसे हमारी बात करवा दो या फिर कारण बता दो।”
अब वो लड़का परेशान हो गया । तभी राजीव ने कार का दरवाजा खोला और बाहर निकल आया । वो चलकर गेट के पास आने लगा ।
इतनी देर में उस लड़के ने वॉचमेन के सवालों से परेशान होकर कहा, “अजीब आदमी हो यार । अपने काम से मतलब रखो । एंट्री करो और जाने दो।”
गेट के पास आकर राजीव ने उस लड़के की तरफ एक नजर डाली और फिर वॉचमेन से बोला, “मैं राजीव शर्मा हूँ । बी ७०१ में मेरी बहन रहती है । वहीं जाना है ।”
वॉचमेन अब हैरान होकर कभी राजीव को देख रहा था तो कभी उस लड़के को । वो बोला, “बात क्या हुई ? इन साब को भी इस समय काव्या मैडम के फ्लैट पर जाना है और आपको भी ।”
वॉचमेन की बात सुनकर राजीव ने इस बार शंकास्पद नजरों से उस लड़के को देखा । उस लड़के ने फौरन राजीव की तरफ अपना चेहरा घुमाकर कहा, “अंकल, मैं अनय... काव्या का कलीग होने के साथ उसका क्लोज फ्रेंड भी हूँ।”
राजीव ने अनय की बात पर बहुत ज्यादा ध्यान न देकर उससे बोला, “ओके. मैं काव्या का मामा हूँ ।” फिर वो वॉचमेन से बोला, “अभी काव्या का कॉल था । उसकी मम्मी की डेथ हो गई है । कहो तो तुम्हारी बात करवा दूँ उससे ?”
वॉचमेन राजीव की बात सुनकर चौंक गया और गेट खोलते हुए बोला, “ये आप क्या कह रहे हैं साब ? शाम को तो वो नीचे घूम रही थी ।”
राजीव ने वॉचमेन की बात का कोई जवाब नहीं दिया । अनय वॉचमेन के गेट खोलते ही बाइक स्टार्ट कर रेसीडेंसी के अन्दर आ गया । उसके पीछे राजीव ने भी अपनी कार अन्दर ले ली । उन दोनों के अन्दर आते ही वॉचमेन ने गेट बंद कर लिया ।
शेष अगले हफ्ते
बहुत ख़ूबसूरत लेखन..! दिलचस्प
शुक्रिया भाई साहब