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" छोटी-छोटी खुशी "💐💐 - सीमा वर्मा (Sahitya Arpan)

कहानीलघुकथा

" छोटी-छोटी खुशी "💐💐

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#शीर्षक
" छोटी - छोटी खुशी "
गाजियाबाद से सटी पूर्वी दिल्ली की यह कॉलोनी भी दिल्ली की आम अनाधिकृत कॉलोनियों जैसी ही है जिसके एक कमरे में बैठी हुई विनी गहरी सोच में डूबी हुई है। कल उसके कॉलेज में ऐनुअल फंक्शन है। जिसमें उसने भी हिस्सा लिया है । बस यही उसकी परेशानी का सबब बनी हुयी है।
उसे नारंगी रंग की कांजीवरम की साड़ी चाहिए थी जो उसके पास तो नहीं है पर उसकी दीदी नेहा के पास है। जिसकी शादी बड़े घर में हुई है ।
लेकिन मां मना कर रही हैं कह रही हैं।
" दीदी से साड़ी लेने की आवश्यकता नहीं है "
" इतनी महंगी साड़ी तुम लोगों की धीगांमस्ती में कंहीं फट - फटा गई तो लेने के देने हो जाएंगे "।
"हम कहाँ से भरपाई कर पाएंगे " अभी वे दोनों बाते ही कर रही थीं कि बाहर से गाड़ी के हौर्न की आवाज सुनाई दी।
जिसमें से उतरी नेहा दरवाजे पर खड़ी माँ की बात सुन रही है।
उसकी बात फोन पर विनी से पहले ही हो चुकी है ।
उसने हांथों में वही नारंगी रंग की साड़ी पकड़ रखी है।
जिसे विनी को पहननी थी।
उसे विनी को थमाती हुई बोली ,
" ले विनी जा जी ले ...अपनी छोटी - छोटी खुशियाँ। जैसे मर्जी हो इस्तेमाल कर तेरी इस प्यारी सी खुशी के आगे इस साड़ी की कीमत ही क्या है?"।
फिर माँ के गले में दोनों बाँह डाल कर नाराजगी से बोली ,
" क्या... माँ ... कर दिया ना मुझे पल भर में पराया ? फिर दुनिया तो बोलेगी ही ना..."।

स्वरचित

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Roohi Shrivastava

Roohi Shrivastava 3 years ago

Yahi hai do bahno ka pyar

Shekhar Verma

Shekhar Verma 3 years ago

bahut khub

Anjani Kumar

Anjani Kumar 3 years ago

बहुत प्यारी जीवन की छोटी मोटी खुशियां

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

अच्छी रचना

दादी की परी
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