कहानीबाल कहानी
बाल साहित्य के अन्तर्गत...
#शीर्षक
भरपाई...
बहुत पुरानी बात है विश्व प्रसिद्ध नगरी काशी में गोवर्धन दास के कपड़ों की दुकान हुआ करती थी ।
गोवर्धन दास स्वभाव से संत थे ।
एक बार उन्हीं के मुहल्ले के कुछ शरारती लड़कों ने उनसे मसखरी करने की सोच उनके दुकान में आए ।
सामने साड़ियों का अम्बार लगा था उनमें से एक लड़के ने एक साड़ी उठा कर पूछा ,
" इसका मूल्य क्या है "
'२०० रुपये '
शरारती लड़के ने साड़ी दो भाग में काट कर पूछा ,
अब बताएं '
गोवर्धन दास उसकी मंशा समझ बोले ,
' दोनों के १००-१०० रुपये '
लड़के तो उन्हें तंग करने ही आए थे ।
वे टुकड़े करते गए , शांत स्वभाव के दुकानदार ने बिना क्रोध किए उसके मूल्य बताते गए ।
उनके धैर्यपूर्ण व्यवहार देख शरारती बच्चे ने ही धैर्य खो दिए और लज्जित हो पाकेट में से २०० रुपये निकाल कर गोवर्धन दास को पकड़ाते हुए कहा,
"यह लें रुपये मैंने आपका जितने का नुकसान किया वह पूरा कर दे रहा हूँ"।
किंतु गोवर्धन दास रुपये ना ले शांत चित्त से मधुर स्वर में बोले ,
" नहीं बच्चे यह रुपये मैं नहीं ले सकता ,
मेरे घाटे की भरपाई तो जभी हो गई जब तुम्हें अपने कृत्य पर आत्मग्लानि हुई ,
तुमने अपनी गलती कबूल कर ली "।
शरारती बच्चे की आंखें उसके सद्व्यवहार को देख भर आई।
वह गोवर्धन दास के चरणों पर गिर पड़ा और सच्चे मन से बार-बार क्षमा याचना की ।
सीमा वर्मा