कहानीलघुकथा
#शीर्षक
"विश्वास "
पिता का विश्वास ईश्वर पर... जबकि आचरण ठीक विपरीत। इस मद में वे सबको डराते धमकाते रहते।
एक ओर जहाँ उनकी अकूत सम्पत्ति बहती रही बाजारों में ,वहीं माँ चीखती रहती बंद दरवाजों के अंदर।
घर की छोटी बेटी डर कर कान बंद कर लेती उसकी सोच थी,
"अगर ईश्वर हैं तो उसकी माँ यों पराजित क्यों"?।
बहुत पहले माँ से रामायण की कहानी सुनी थी ,
"पिता की वजह से बेटा वनवास के लिए गया"
परेशान हो कर संतुलन बिठाने एक दिन वह आंखें मींचे ईश्वर के समक्ष बैठ गई।
आश्चर्य बहुत प्रयास करने पर जो छवि उभरी वह माँ की थी।
सीमा वर्मा