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कच्चे रास्ते (भाग ७) साप्ताहिक धारावाहिक - Ashish Dalal (Sahitya Arpan)

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कच्चे रास्ते (भाग ७) साप्ताहिक धारावाहिक

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भाग ७

राजीव और रागिनी के बैडरूम के दरवाजे के ऊपर रही खाली दीवार पर लगी हुई घड़ी की दोनों सुईयाँ आपस में एक होकर मिलने के बाद धीरे धीरे अलग रही थी । डबल बैड के सामने की दीवार पर टँगी हुई राजीव और रागिनी की मुस्कुराती हुई रोमांटिक सी तस्वीर बैडरूम में हल्की लाल रंग की रोशनी में जैसे बैड पर एक दूसरे में समाकर गहरी नींद में सो रही दोनों की अर्ध अनावृत देहों को निरख रही थी । राजीव के खुले चौड़े सीने पर अपने रेशमी बालों को बिखराकर रागिनी अपना सिर रखकर किसी मीठे से सपने में खोई हुई थी । अपना कामदेव वाला रूप अनुभव कर लेने के बाद राजीव बेखबर सा रागिनी की बगल में सोया हुआ था । उसका हाथ रागिनी की पीठ को छू रहा था ।
तभी एक रोमांटिक सी रिंग टोन राजीव के मोबाइल में बजने लगी, “हमको हमी से चुरा लो… दिल में कहीं छुपा लो...”

रिंग टोन सुनकर रागिनी के शरीर में कुछ हरकत हुई लेकिन कुछ देर पहले ही प्यार की बरसात में भींगने के बाद महसूस हो रही मीठी सी थकान के साथ नींद का नशा आँखों में समाया होने से वो राजीव से अलग होकर फिर से सो गई ।

थोड़ी देर बजने के बाद बंद होकर राजीव का मोबाइल फिर से बजने लगा, “हमको हमी से चुरा लो... दिल में कहीं छुपा लो... हमको हमी से चुरा लो... दिल में कहीं छुपा लो...हम अकेले हैं...”

अबकी बार राजीव के शरीर में भी थोड़ी सी हरकत हुई । बंद आँखों से ही उसने अपना सीधाहाथ बढ़ाकर तकिये के पास रखा हुआ मोबाइल उठाने की कोशिश की लेकिन तब तक रिंग टोन पूरी होकर फिर बंद हो गई । राजीव ने आयी हुई कॉल देखे बिना ही नींद के आगोश में मोबाइल अपने तकिये के नीचे सरका दिया और करवट लेकर रागिनी की कमर पर हाथ रखकर उसकी देह से लिपटकर फिर से सो गया । ४२ की उम्र में राजीव जैसे अब भी सुहागरात वाली मीठी सी अनुभूति के साथ रागिनी की कोमल नाजुक देह एक बार फिर से पाने को मचल रहा था । इस उम्र में भी राजीव किसी युवा की तरह फिटनेस बना रखी थी और अपने बालों को कलर कर लेने के बाद वो पच्चीस साल के किसी नौजवान से कम न लगता था । उम्र में राजीव से एक साल छोटी रागिनी आज भी अपनी उम्र की महिलाओं के बीच अपनी सुन्दरता और देह लालित्य को लेकर बातों का विषय थी । सत्रह साल के एक बेटे की माँ होने के बाद भी रागिनी आज भी अपनी सुन्दरता को एक दुल्हन की तरह सम्हालकर राजीव के रोमांटिक मूड को और ज्यादा रोमांटिक बनाते हुए उसका बराबर का साथ दे रही थी । एक दूसरे से लिपटकर सो रहे शर्मा दंपति किसी कलाकार द्वारा फुर्सत से बनाई गई खूबसूरत मूर्ति की परछाई की तरह जान पड़ रहे थे ।

तभी फिर से राजीव के मोबाइल की रिंग बजी, “हमको हमी से चुरा लो... दिल में कहीं छुपा लो... हमको हमी से चुरा लो... दिल में कहीं छुपा लो...हम अकेले हैं...खो ना जाये... ”

राजीव के मोबाइल की रिंग पूरी होने के बाद बार बार फिर से बज रही थी, “हमको हमी से चुरा लो... दिल में कहीं छुपा लो... हमको हमी से चुरा लो... दिल में कहीं छुपा लो...हम अकेले हैं...खो ना जाये...दूर तुमसे हो ना जाये...पास आओ गले से लगा लो... ”

राजीव के मोबाइल पर बार-बार आती रिंग सुनकर रागिनी की नींद टूट गई । परेशान होते हुए उसने राजीव के सीने पर हाथ रखकर झुँझलाकर कहा, “राजीव । देखो न, कौन है जो बार बार इतनी रात को फोन किए जा रहा है?”

राजीव ने तकिये के नीचे से अपना मोबाइल उठाया और आधी खुली हुई आँखों से मोबाइल की स्क्रीन को देखने का प्रयास करते हुए बोला, “अरे यार ! कौन सी आफत आ गई है जो रात को कोई परेशान कर रहा है ? इडियट में इतना भी मैनर्स नहीं कि आधी रात के बाद किसी को कॉल नहीं करते ।”

तभी मोबाइल की स्क्रीन पर काव्या का नाम देखकर वह चौंककर उठकर बैठ गया ।

राजीव धीरे से बोला, “काव्या को क्या हो गया जो आधी रात को फोन कर रही है ? ऑफिस से घर जाते हुए रास्ते में किसी आफत में तो नहीं फँस गई ?”
इतनी देर में मोबाइल की रिंग फिर से पूरी हो गई ।

राजीव के मुँह से काव्या का नाम सुनकर रागिनी भी घबराकर उठकर बैठ गई । उसने अपने लम्बें बिखरे बालों को समेटते हुए जुडा बनाते हुए राजीव से कहा, “ध्यान से देखो । अपनी काव्या का फोन है या तुम्हारी ऑफिस की एच आर वाली काव्या मैडम का फोन है । पहले भी कई बार तुम दोनों नाम के साथ स्टुपिड सी गलती कर चुके हो ।”

रागिनी की बात सुनकर राजीव ने मोबाइल की मिस्ड कॉल लिस्ट देखी और उसे रागिनी को दिखाते हुए बोला, “अब गलती हो ही नहीं सकती मुझसे । मैंने अपनी काव्या का नाम बहुत ही अलग तरीके से सेव कर लिया है । ये देखो ।”

राजीव के कहने पर रागिनी ने उसके हाथ से मोबाइल अपने हाथ में लिया और अभी आयी हुई कॉल को देखकर बोली, “काव्या शालिनी शर्मा । अच्छा तो काव्या का नाम जीजी के नाम के साथ सेव कर लिया । बहुत अच्छे !”

रागिनी के हाथ से मोबाइल अपने हाथ में लेते हुए उसने रागिनी से कहा, “जरा लाइट चालू करो । कोई इमरजंसी होगी तभी काव्या इतनी रात को फोन कर रही है ।”

राजीव के कहने पर रागिनी ने बैड से नीचे उतर कर लाइट चालू कर दी और वापस उसके पास आकर बैठ गई । राजीव काव्या का नम्बर डॉयल करने ही जा रहा था कि फिर से
उसके मोबाइल पर रिंग आई । इस बार राजीव ने कॉल ले ली ।

“हैल्लो ....” कॉल कनेक्ट होते ही उसे काव्या की घबराई हुई सी धीमी सी आवाज सुनाई दी ।

राजीव ने आवाज के बीच मोबाइल काव्या के रोने की आवाज को महसूस करते हुए घबराहट से पूछा, “‘काव्या ! क्या हुआ इतनी रात को ? और तुम रो क्यों रही हो?”

इस पर राजीव को काव्या की और जोर से रोने आवाज सुनाई दी । राजीव को परेशान पाकर रागिनी ने उसके कंधे पर अपना हाथ रखा और खुद भी घबराने लगी ।

तभी काव्या बोली, “मामाजी ... मामाजी ...”

काव्या बड़ी मुश्किल से दो शब्द ही बोल पाई और फिर राजीव को उसके रोने की आवाज सुनाई देने लगी ।

राजीव ने काव्या को शालिनी के बारें में पूछते हुए कहा, “क्या हुआ काव्या ? घबराई हुई सी क्यों है तू ? शालिनी दीदी को फोन दे तो ।”

इस पर काव्या ने रोते हुए कहा, “वे इस वक्त नहीं बोल सकती ।”

काव्या की बात सुनकर राजीव परेशान हुआ जा रहा था । उसने काव्या से कुछ ऊँची आवाज में कहा, “क्यों नहीं बोल सकती ? जो भी बात है साफ साफ कहो काव्या ।”

इस पर काव्या ने काफी देर तक कोई जवाब नहीं दिया । राजीव मोबाइल पर “हैल्लो ... हैल्लो...” करता रहा ।

तभी उसे जवाब मिला, “भाई साहब. अपना समय बर्बाद मत कीजिए और यहाँ जल्दी से आ जाइए ।”

काव्या के मोबाइल पर इस समय किसी पुरुष का स्वर सुनकर राजीव चौंक गया । उसने बात को समझने के लिए घबराते हुए पूछा, “हुआ क्या है ? और आप कौन है ? काव्या कहाँ है ?”

“मैं डॉ. मनीष श्रीवास्तव बोल रहा हूँ । शालिनी जी का पड़ौसी ।” मनीष ने अपना परिचय देते हुए राजीव से कहा । वो आगे अभी कुछ कहने जा ही रहा था कि राजीव ने उसे टोक
दिया, “शायद आपसे एक दो बार मुलाकात हुई थी । आप काव्या को फोन दीजिए ।”

इस पर मनीष की आवाज कुछ भारी हो गई और वो बोला, “वह इस वक्त आपसे बात करने की हालत में नहीं है । आपकी बहन ने एक साथ बहुत सारी नींद की गोलियाँ खाकर आत्महत्या करने का प्रयास किया है ।”

“क्या ?” मनीष के कहने पर राजीव कुछ गलतहोने के डर से और ज्यादा घबरा गया ।

मनीष ने आगे कहा, “भाई साहब ! प्लीज... जल्दी आइये । ये वक्त फोन पर बातें करने का नहीं है । मैटर कुछ ज्यादा ही गंभीर है ।”

राजीव ने मनीष को सलाह देते हुए कहा, “हम आ रहे है । तब तक आप उन्हें पास के अस्पताल में ले जाने की व्यवस्था कीजिए ।”

इस पर मनीष ने जो कहा उसे सुनकर मनीष की बात सुनकर राजीव के हाथ से मोबाइल छूटकर बैड पर जा गिरा । कुछ देर पहले प्रेम की खुमारी के साथ नींद के नशे से घिरी राजीव की आँखें अब घबराहट के मारे गीली हो रही थी । उसके पास बैठी रागिनी को कुछ समझ नहीं आया कि अचानक से राजीव ने ऐसा क्या सुन लिया जो वो एक से ढीला पड़ गया । वो खुद भी घबराने लगी ।

उसने राजीव का हाथ अपने हाथ में लिया और बोली, “क्या हुआ राजीव? क्या कहा काव्या ने ?”

राजीव रागिनी के सवाल का जवाब नहीं दे पाया और उसकी आँखों से आँसू गिरने लगे । रागिनी राजीव की ऐसी हालत देखकर और ज्यादा घबरा गई । उसने राजीव के पैर के पास बैड पर पड़ा मोबाइल अपने हाथ में उठाया लेकिन अब तक कॉल डिस्कनेक्ट हो चुकी थी । उसने मोबाइल वापस बैड पर रख दिया और राजीव की तरफ देखा । अपने दाहिने हाथ से उसने राजीव के गाल पर फैली हुई आँसुओं की बूंदों को पोंछा । राजीव के ऐसी घबराई हुई हालत देखकर वो समझ तो गई थी कि बात जरुर बहुत ही गंभीर है ।
अपने मन में छुपे हुए एक डर से वो घबरा उठी और उसने फिर से राजीव से पूछा, “क्या हुआ काव्या को और इस समय वो किसके साथ है ?”

रागिनी के सवाल सुनकर राजीव ने उसे देखा और भारी आवाज से बोला, ‘रागिनी, कुछ गलत हुआ है ।”

रागिनी और ज्यादा घबरा गई और बोली, “हुआ क्या ? ये तो बताओ ?”

अब राजीव ने जवाब दिया, शालिनी दीदी...दीदी... ने सुसाइड करने की कोशिश की है । वे बहुत ज्यादा सीरियस है और उनके बचने की उम्मीद कम ही है ।”

राजीव का जवाब सुनकर रागिनी के हाथ पैर ढीले पड़ गये और वह राजीव का मोबाइल अपने हाथ में लेकर कहने लगी, “क्या ? तुम्हारे सुनने में गलती हुई होगी । मैं काव्य को फिर से कॉल करती हूँ ।”

इस पर राजीव ने रागिनी के हाथ से मोबाइल छीन लिया और बोला, “मैंने जो कुछ सुना वह सच है । काव्या इस वक्त बात करने की हालत में नहीं है ।”

रागिनी ने अपना सिर पकड़ लिया और बोली, “हे भगवान् ! ये क्या कर डाला जीजी ने ?”

राजीव और रागिनी दोनों कुछ देर चुपचाप बैठे रहे । फिर थोड़ी देर में रागिनी राजीव से कहने लगी, “दो दिन पहले जीजी ने फोन किया था तब कुछ परेशान सी लग रही थी । तुमसे भी बात करना चाह रही थी लेकिन तुम्हारा मोबाइल स्विच्ड ऑफ़ आ रहा था । मैंने तुम्हें बताया भी तो था ...”

राजीव ने उदास स्वर में कहा, “हाँ ! मुझे याद है । मैं उन्हें फोन नहीं कर पाया । सोचा था रविवार को छुट्टी के दिन आराम से बातें करूँगा ।”

राजीव की बात सुनकर रागिनी उस पर गुस्सा हो गई और बोली, “तुम हमेशा हर बात में देरी करते हो । जीजी से समय पर बात कर ली होती तो शायद उनकी परेशानी का कारण पता चल जाता और हम उनकी मदद कर पाते । तुम बहुत ही लापरवाह हो राजीव ।”

राजीव रागिनी की बात का जवाब नहीं दे पाया । उसे अपनी गलती का आभास अभी हो रहा था । राजीव को चुप बैठा देख रागिनी और ज्यादा परेशान हो गई और बोली, “अब बैठे क्या हो ? तैयार हो जल्दी से । हमें फौरन जाना चाहिए । जीजी को मेडीकल ट्रीटमेंट समय पर मिल जाएगी तो वो जरुर बच जाएगी । वैसे काव्या के साथ कौन है अभी ?”

रागिनी की बात सुनकर राजीव एक गहरी सोच से बाहर निकला और बोला, “दीदी के पड़ौसी मनीष जी खुद डॉक्टर है । वो वहाँ ही है।”

इस पर रागिनी बोली, “ईश्वर सब ठीक करेगा । तुम जल्दी से तैयार हो जाओ, तब तक मैं अनिकेत को जगाती हूँ।”

बैड पर से उतरकर बाथरूम की ओर जाते हुए राजीव ने बोला, “उसे सोने दो । वो वहाँ जाकर परेशान हो जाएगा । वैसे ही वो बहुत ज्यादा सेन्सेटिव है और पन्द्रह बीस दिनों में उसकी बोर्ड की परीक्षा भी तो शुरू होने वाली है।”

रागिनी राजीव की बात से सहमत नहीं हुई और बोली, “रात को अकेले उसे घर पर छोड़ना ठीक नहीं है । उसे लेकर ही चलते है।”

रागिनी के फैसले पर राजीव आगे कुछ नहीं बोला और बाथरूम में चला गया । जब वो बाहर आया तब तक रागिनी ने अपने बालों की चोटी बना ली थी ।उसने राजीव के पेण्ट शर्ट निकालकर बैड पर रख दिए थे और अब खुद कपड़े बदलने की तैयारी कर रही थी ।

राजीव ने पूछा, “अनिकेत उठ गया ?”

“हाँ” रागिनी ने जल्दी में जवाब दिया और फिर वो बाथरूम में चली गई । राजीव कपड़े पहनकर तैयार होने लगा ।

रागिनी और अनिकेत के तैयार होने पर राजीव ने फ़्लैट का दरवाजा बंद किया और लिफ्ट की तरफ मुड़ा । तभी रागिनी ने उससे दरवाजे की चाबी माँगते हुए कहा, “पानी की बोतल लेना भूल गई हूँ ।”

इस पर राजीव बोला, “उसकी क्या जरूरत है ? अभी आधे पौने घण्टे में तो पहुँच जाएँगे ।”

रागिनी ने फिर से अपनी बात पर जोर देते हुए कहा, “जरूरत पड़ सकती है । तुम चाबी दो ।”

रागिनी की बात सुनकर राजीव ने बहस नहीं की और चाबी उसे देते हुए बोला, “मैं नीचे जाकर कार पार्किंग से निकालता हूँ । तुम अनिकेत के साथ आओ ।”

“ठीक है ।” राजीव से चाबी लेकर रागिनी ने कहा और दरवाजा खोलकर फुर्ती से अन्दर चली गई । तभी रसोई की लाइट चालू करते ही उसके मुँह से एक चीख निकल पड़ी ।

शेष अगले हफ्ते

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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

भावपूर्ण और दिलचस्प कहानी.. आगे के लिए उत्सुकता.

Ashish Dalal3 years ago

जी जरुर

दादी की परी
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