Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
"खुशनुमा लम्हे " - सीमा वर्मा (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

"खुशनुमा लम्हे "

  • 244
  • 2 Min Read

शीर्षक ...
" खुशनुमा लम्हे "
मैं अपने रचे गीतो के
पंख पर हो कर सवार
बनूँ इनकी मालकिन
और होकर गुलाम...
हुई बादलों पर सवार
बिना लगाम,बिना रकाब
यही ले जाएं मुझे
इन्द्रधनुष के पार...
मन छेड़े तराना जैसे
गुन,गुन,गुन...
जी गई फिर से मैं ,जिन
लम्हो में आया इन्हें रचने
का हसीन ख्याल ...
स्थिर हो कर भी गाऊंगी
जीवन के गीत ...
जैसे मिल गया कोई
पुराना मन मीत ...

सीमा वर्मा ©®

FB_IMG_1614779006377_1624435458.jpg
user-image
Shekhar Verma

Shekhar Verma 3 years ago

gajab

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

सुन्दर भाव..!

Anjani Kumar

Anjani Kumar 3 years ago

बेहतरीन लेखन

वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg