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संक्रमण - सीमा वर्मा (Sahitya Arpan)

कहानीलघुकथा

संक्रमण

  • 239
  • 6 Min Read

#शीर्षक
' सँक्रमण "

ड्राईगं रूम में बैठे हुए हरदयाल बाबू हैरान से मुनुआ के आंखों में व्याप्त भय को परखने की कोशिश कर रहे हैं।
मुनुआ सात आठ साल का लड़का जिसकी पैदाईश ही मेरे घर में काम करते हुए मेरी नजरों के सामने हुई थी । उसकी माँ मेरे यँहा महरी के काम करती थी
गोद में छोटे से मुनुआ को लेकर आती थी और कथरी पर लिटा उधर कर काम मेंं जुट जाती इधर हम दोनों पति पत्नी उसकी देखरेख में 😗😗 ।
ऐसा ही चलता रहा सालों साल दिन बीतने के साथ मुनुआ का नाम मैंने सरकारी स्कूल में लिखवा दिया था। रात में अपने पास ही बैठा लेता था पढाने के लिए ।
अचानक से मैंने गौर किया इतना अपनापन और स्नेह मिलने के बाद भी वह डरा - डरा और सहमा सा रहने लगा है।
एक दिन मैं उससे पूछ ही बैठा,
" क्या हुआ रे मुनुआ ? "
"मैं तुम्हारे पिता समान हूँ मुझसे बता "।
इतना कहते हुए मैंने उसकी पीठ पर प्यार से हाँथ रख दिया ।
वह भाग कर दूर हट गया और हकला कर ,
जी... जी ...वो जी... कहते हुए जोर से रोने लग गया ।
बहुत कहने पर जो उसने कहा वो रोंगटे खड़ी कर देने वाला था ।
"" जी वह स्कूल में गुरु जी भी क्लास खत्म होने के बाद ऐसे ही अकेले में ...
तभी तो आपसे भी डर ""

सीमा वर्मा 🤔🤔
पटना

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Anjani Kumar

Anjani Kumar 3 years ago

हृदय स्पर्शी

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

मर्मस्पर्शी..!

सीमा वर्मा3 years ago

जी हार्दिक धन्यवाद सर

दादी की परी
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