कविताअतुकांत कविता
मेरे घर की
खिड़की से
दिख रही जो
सड़क
मैं उस पर चल नहीं
सकती
आसमान में जो
उड़ रही
पतंग
मैं उसे उड़ा नहीं
सकती
पंछी जो बैठा
बिजली की तार पे
मैं उसको वहां से
हटा नहीं सकती
पेड़ से पत्ते टूटकर जो
गिर रहे
मेरे आंगन
मैं उन्हें वापिस
उनके स्थान पर
पहुंचा नहीं सकती
मैं पूर्णतया स्वतन्त्र हूं
फिर भी
सब कुछ मेरे नियन्त्रण में नहीं
यह राह जो
गुजर रही
मेरे करीब से होकर
मैं इसे सुबह शाम
निहार रही
यह मुझे पहचानने को
तैयार नहीं
कभी मुड़कर देखती नहीं
किसी अजनबी की तरह
कभी मुझे अपना बनाने को
राजी नहीं।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) - 202001