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निर्वाह - सीमा वर्मा (Sahitya Arpan)

कहानीलघुकथा

निर्वाह

  • 183
  • 6 Min Read

# शीर्षक
" निर्वाह "
वे दो थे ,
शहर से दूर किसी गेस्ट हाउस में मौज-मस्ती के इरादे से जुटे जहाँ वे खा कम और पी ज्यादा रहे हैं ।
किसी का इन्तजार भी कर रहे हैं तभी खट-खट सुन मुड़ कर देखा तो बांछे खिल गई ।
कोई उन्नीस-बीस साल की लड़की थोड़ी घबराई और परेशान सी खड़ी है ।
पहले वाले दोस्त ने उसे अन्दर खींच लिया ।
लड़की हाँथ छुड़ा कर पास रखी कुर्सी पर प्रायः दुबक कर बैठ गई ।
पहले वाले ने उसके कंधे पकड़ कहा ,
" क्यों पैसे तो पूरे दिए हैं "
वह सकपकाती हुयी बोली ,
" जी हाँ ,
नहीं ऐसी कोई बात नहीं है "
दूसरा दोस्त लड़की को बारीकी से देख और सुन कर अभी चुप है ।
लड़की की मलिन छवि के पीछे छिपी कातरता उसे वीभत्स लग रही थी।
लड़की की नहीं-नहीं की आवाज उसे सुन्न कर दे रही है ।
दोस्त को उसे इधर -उधर स्पर्श करते देख एकबारगी वह चिल्ला पड़ा ,
" प्लीज उस पर रहम खाओ उसका चेहरा तो देखो " ।
पहले वाला विचित्र दृष्टि से उसे देख अठ्ठाहास कर उठा ,
" पूरे पैसे मैंने रहम खाने को नहीं दिए हैं "
इसके पहले कि वह और कुछ कहता दूसरे वाले ने अपने बटुए में से पूरे पैसे निकाल मेज पर रख दिए ।
और लड़की के हाँथ खींच उसे दरवाजे से बाहर निकाल दिया ।
सीमा वर्मा

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Roohi Shrivastava

Roohi Shrivastava 3 years ago

Bahut achchi

Shekhar Verma

Shekhar Verma 3 years ago

bahut achchi

Anjani Kumar

Anjani Kumar 3 years ago

बहुत अच्छी

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

मर्मस्पर्शी

सीमा वर्मा3 years ago

जी हार्दिक आभार आपका सर

दादी की परी
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