कविताअतुकांत कविता
ऐ
सूरजमुखी के फूल
तुम मुझे हवा संग
झूलते
बहुत अच्छे लगते हो
तुम्हारी मुस्कान
तुम्हारी कलियों सी ही खिलकर
सूरज की किरणों सी
कितनी दूर तक फैल जाती है
तुम्हारी राह से मैं
जब जब गुजरूं तो
तुम झुककर जो
मुझे सलाम करते हो और
पल दो पल अपने पास
रुकने का आग्रह करते हो तो
तुम्हें नहीं पता
मैं तुम्हारी इस अदा पर
दिलोजान से
मर मिट जाती हूं
तुम्हें किसी की
नज़र न लगे तो
एक भंवरे को समीप
बुलाकर
उसको एक काजल के
काले टीके सा
तुम्हारे कानों के पीछे
चिपककर बैठ जाने की
गुजारिश करती हूं
न माने तो
हुक्म फरमाती हूं।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) - 202001