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"छुईमुई" - कुलदीप दहिया मरजाणा दीप (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

"छुईमुई"

  • 270
  • 9 Min Read

छुईमुई
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चाँद जो निकला पूर्णिमा का
ब्रम्हांड का गुरुर तोड़कर,
भोर की शबनमी बूँद सा
कोमल रूप का लावण्य मेरा,
पूरी क़ायनात को समेटे हुए
छुईमुई सा ये बदन रेशमी ।।
****
झील से गहरे नयनों में समाए
असंख्य सुनहले ख़्वाब
जुगनू से चमकते हैं,
बिखरी सावन की घटा सी
काली- काली झुल्फ़ें मेरी,
ग़ुलाब की अधखिली पंखुड़ियों से
पावन,परम् रसीले पुलकित लब मेरे,
हाँ रुख़सारों का काला तिल
कहर ढाता है यूँ मेरा ।।
*****
मैं भी अनजान हूँ
इन नशीली,उन्मान
परियों सी अठखेलियाँ करती
यौवन की भाव-भंगिमाओं से,
मेरे कोमलांगों की (उभार) तपन
जला रही है अंतर्मन की कलियों को।।
*****
आतूर हूँ मैं भी
काश कोई आये,
मेरी इस रंगीन मख़मली
दुनिया को निहारने।।
****
मेरे ख़्वाब जो अधूरे हैं
निहार ले,दुलार दे
अर्पित करूँ,समर्पित हूँ मैं
करे आलिंगन वो हरजाई
झुल्फ़ों को संवार दे,
प्यासी हूँ मछली सी मैं
वो अपना सर्वस्व निसार दे।।
*****
खिल उठूँ कुमुदिनी सा
जो कभी खिला था वहां,
उस झील के किनारे,
वो हंसी रातें,वो झरने प्यारे
तकती रहती हूं हरपल सारे
भीगी हैं पलकें, मदमस्त नज़ारे।।
*****
छू ले मुझ छुईमुई को
रह न जाये प्यास कोई,
तुम बिन अधूरी हूँ कब से
अहसास है तेरा,आभास कोई ।।
*****
नहीं भूली वो कसमें-वायदे
मालूम है मुझको वो हँसी-ठिठोली,
गवाह हैं मेरी वो आज भी
सिलवटें वो बिस्तर की
संभाल के रखी हैं सारी
निशानियाँ अब भी तुम्हारी
वो समां, वो बहारें
वो कहानियां रातों की प्यारी।।
*****
"दीप" मैने जला रखें हैं
दीदार की इस चाह में,
कि काश वो हसीन लम्हा
बनेगा हकीकत इसी राह में।।
*****
कुलदीप दहिया "मरजाणा दीप"

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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

वाह बहुत खूब 👌🏻

कुलदीप दहिया मरजाणा दीप3 years ago

जी शुक्रिया नेहा शर्मा जी

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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प्रपोजल
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माँ
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