कहानीसामाजिकप्रेरणादायक
"जीवन जीने का नाम है,
डर कर जीने वाले क्या खाक जिया करते हैं।
हों हौसले बुलंद तो एक छोटे से वायरस की बिसात क्या?
ऐसे वायरस तो चार दिन बाद,
दूसरों से ऑक्सीजन मांँग जिया करते हैं.
रहमत पर पलने वाले भी क्या खाक जीया करते हैं।
मन में उम्मीद की किरण जगा के रखो,
आशाओं से ही तो हौंसले बुलंद हुआ करते हैं।"
"सुन रहे हैं ना आप।यही कविता सुना आपने बिट्टू में हिम्मत जगाई थी।अपने शब्दों को कैसे भूल सकते हैं। आपने कहा था समय,देश सेवा का है।घर घुस डर से बचने का नहीं। पिछले साल भर से आप लोगों का हौंसला बढ़ा रहे हैं।उनके लिए उम्मीद की एक किरण है आप!हज़ारों माँओं की दुआएंँ आपके साथ हैं, आपको फिर उठना होगा।"
"हिम्मत रखिए मैम, सर जल्द ही ठीक हो जाएंँगे।
आपने ऐसा क्या कह दिया जिसके बाद बॉडी रेस्पांड कर रही है। सर दो दिन से सोए नहीं थे कुछ थकान से शरीर पहले ही कमजोर था इसलिए इंफेक्शन जल्दी फैल गया।"
"ऐसा कुछ नहीं कहा बस उन्हीं की कहीं चंद पंक्तियाँ सुनाकर आई हूँ। जानती हूँ बहुत हिम्मती हैं वो, पर क्या करूँ डॉक्टर होने के साथ एक पत्नी और माँ भी हूँ।चारों तरफ एक ही खबर है। हर दूसरा जना कोरोना पॉजिटिव।ये भी जानती हूँ डर कर नहीं लड़ कर शत्रु पर सफलता पा सकते हैं पर जब बात अपने पर आती है तो नहीं चाहते हुए भी नकारात्मक विचार मन में आ ही जाते हैं।"
"आप घर जाइए मैं आपको सूचित करूँगी।हम सब सर का ध्यान रखेंगे।"
"आप लोग जानते हैं ना पिछले दो महीने से वो घर नहीं आए हैं।बूढ़े माता-पिता, बच्चे....क्या जवाब दूँगी मैं सबको।
डॉक्टर नेहा जाते हुए जनरल वार्ड से होकर गुजरी तो एक महिला ने अवाज़ लगाई, "मैम कैसे हैं सर?"
"अरे कांता जी, अभी कुछ नहीं कह सकते।इन्फेक्शन ज्यादा है।सिलेंडर की जरूरत पड़ सकती है। स्टॉक सीमित है, देखें क्या व्यवस्था रहती है।"
"कुछ नहीं होगा उन्हें।आप हौसला मत छोड़िएगा।भगवान हैं वो।भगवान को भी कहीं कुछ होता है!"
"जी ,अंकल कैसे हैं?उनकी तबियत।"नेहा ने कांता जी के हाथ में हाथ रख कहा।
"ठीक हैं।आपसे मिलना चाहते हैं।"
"ऑक्सीजन हटवा कर अंकल ने डॉक्टर नेहा से डॉक्टर साहब का हाल पूछा। मैम मैं हिम्मत हार चुका था, मुझे दूसरा जीवन उन्ही के हौसलों ने दिया।उन्होंने की मेरे मन फिर से उम्मीद की किरण जगाई। अब-जब ऑक्सीजन हटती है तो हिम्मत कर वार्ड के अन्य लोगों की मदद करता हूँ। आप तो इतने मजबूत इंसान के साथ रहती हैं आप घबरा नहीं सकतीं। हिम्मत रखियेगा सर जरूर वापस आएंँगे।"
कांता आंटी-अंकल का विश्वास कहीं किसी कोने में नेहा के मन में उम्मीद जगा गया।
घर पहुँची तो वहाँ सभी चिंतित थे।रात दो बजे पता चला डॉक्टर साहब की हालत खराब है तुरंत ऑक्सीजन की जरूरत है पर वहांँ भी," पहले और जरूरतमंदों को ऑक्सिजन सप्लाई करो।" कह सिलेंडर लौटा दिया है।
नेहा इधर-उधर व्यवस्था करती रही।हॉस्पिटल जाने से पहले शून्य आंँखों से डॉक्टर साहब के बुजुर्ग माता-पिता की तरफ देखा।जैसे कहना चाह रही हो अब सब हाथ से गया।
इतने में माँ दही-गुड़ ले आई, "मीठा खा कर जाओ।मेरा बेटा जब भी किसी बड़े केस में जाता था तो सफलता के लिए यही खा जाता और हर बार सफ़ल होकर आया है।घबराना नहीं।संयम, हिम्मत और सावधानी से काम लेना निराशा को अपने आस-पास भी मत फटकने देना। अच्छे इंसान कहीं नहीं जाते।"
भारी मन और डगमगाते कदमों से नेहा चल दी।जनरल वार्ड से घुसी तो देखा वहांँ का माहौल ही बदला हुआ है।जोर-जोर से आवाज़ आ रही थी।डर और ख़ौफ़ ने कदम वहीं रोक दिए।कोई अनहोनी तो नहीं....!सोचकर वार्ड में चली गई।देखा तो सारे पेशेंट डॉक्टर साहब का हौसला बढ़ा रहे थे।पूरे हॉस्पिटल में एक ही आवाज थी।
"जीवन जीने का नाम है,
डर कर जीने वाले क्या खाक जिया करते हैं।
हों हौंसले बुलंद तो एक छोटे से वायरस की बिसात क्या?
ऐसे वायरस जो चार दिन बाद दूसरों से ऑक्सीजन की भीख मांगा करते है,
रहमत पर पलने वाले भी जनाब, क्या खाक जीया करते हैं।
मन में उम्मीद की किरण जगा कर रखो,
आशाओं से ही तो हौंसले बुलंद हुआ करते हैं।"
देख रही थी सब डॉक्टर साहब की लीक पर चल एक दूसरे का सहयोग कर रहे थे और सभी मिल डॉक्टर साहब की जिंदगी के लिए प्रार्थना कर रहे थे।वार्ड का सकारात्मक माहौल उसके मन में भी जोश भर गया। ऊपर पहुँची तो पता चला डॉक्टर ऑक्सिजन पर हैं।
"मैम सही समय पर ऑक्सिजन मिलने से वो खतरे के बाहर हैं।"
"लेकिन कैसे!सिलेंडर तो किसी जरूरतमंद को लौटा चुके थे।"
"जी वो एक पेशेंट है ना कांता आंटी वाले अंकल जी। जब आए थे तो बचने की कोई उम्मीद न थी। डॉक्टर साहब के अथक प्रयासों व उनकी सकारात्मक बातों से वो जीवित है। कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आने पर दो दिन पहले उन्हें जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया था लेकिन ऑक्सिजन चालू थी।कल जिद्द कर डॉक्टर साहब से फोन कर बोले, "मैं जानता हूँ मेरी आवाज़ आप तक पहुँच रही है।आप चाहते हैं ना मैं जीवित रहूँ तो मना मत कीजिएगा।मैं हिम्मत रखूँगा।जहांँ दो घंटे बिना ऑक्सीजन निकाल रहा था,आपकी जीत के लिए चार घंटे निकालूंँगा बस आप मेरा सिलेंडर इस्तेमाल कर लें।मैंने एक बेटा खो दिया है अब दूसरा खोकर जी नहीं पाऊँगा।अभी मुझ जैसे कितने लोगों को आपकी जरूरत है।जल्दी वापिस आ जाइये।"डॉक्टर साहब ने जैसे ही उनकी बात सुनी आँसू छलकाए हम समझ गए कि वो मान गए हैं और स्थिती संभल गई।"
"मुझे पेशेंट से मिलना है।कैसे हैं वो!"नेहा उन्हें देखने भागी।जानती थी चार घंटे बिना सिलेंडर! उनके लिए घातक हैं।देखा तो उन्हें सिलेंडर लगा था।
नेहा को देख आंँखों ही आंँखों में डॉक्टर साहब की खैरियत पूछने लगे।
नर्स हँसी, "मैम ये सब सर के समर्पण का फल है।जब इन्होंने सर की मदद करनी चाही तो इनकी खराब हालत देख दूसरा पेशेंट इन्हें मदद करने लगा और इस तरह से बिना किसी को नुकसान पहुँचे सहयोग करने वालों की एक कड़ी तैयार हो गई।"
नेहा बहुत खुश थी।पति के पास जाकर बोली, "आपका विश्वास जीत गया।आप ठीक होकर आएँगे।मुझे पूरा विश्वास है क्योंकि दवा से ज्यादा दुआओं का असर होता है।"
यदि देश का हर नागरिक एहतियात रखते हुए,मदद को हाथ बढ़ाते रहेंगे, एक दूसरे का हौंसला बनते रहेंगे तो कोरोना की क्या बिसात जो वो हमें नुकसान पहुँचाए ।हमारा देश जल्द ही संभलेगा।बस डर कर नहीं, लड़ कर कोरोना का सामना करें।लोगों के जज़्बे के आगे इस वायरस की क्या बिसात!
घर में रहिए, सुरक्षित रहिए।उम्मीद की किरण को ज़िंदा रखिए।
जितना बन बड़े अपनी सकारात्मक बातों से लोगों की मदद कीजिए।लोगों के लिए उम्मीद की किरण बन उनका मानसिक सम्बल बढ़ाएं व सुरक्षित व सुनहरे भविष्य का निर्माण करने में सहयोग दें।
'है हौसला, तो मुकाम भी आएगा,
ये दुष्ट वायरस देश से जल्द ही मिट जाएगा।
मन को मजबूत और हौसले बुलंद रखिए,
निश्चित रूप से ये संकट भी टल जाएगा'।
©मीताजोशी