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नयी हिन्दी ग़ज़ल - Shiva Prasad (Sahitya Arpan)

कवितागजल

नयी हिन्दी ग़ज़ल

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(1)
ग़ज़लकार- डा. शिव प्रसाद तिवारी "रहबर क़बीरज़ादा"


ग़ज़ल
तेरा अख़्लाक जब एहसास से भर जायेगा।
फिर तेरे वुजूद से कुफ़्र का ये असर जायेगा।

ये चश्म हमारे इनायत की तेरी तलबगार जो हैं,
तू जहाँ भी जायेगा संग दीद-ए-तर जायेगा।

एक लम्हा जो ये जुदाई का है कटता नहीं,
लोग सब कहते हैं कि ये वक्त गुज़र जायेगा।

कब तो नग़्मों को मेरे आवाज मिलेगी तेरी,
कब तेरे अन्दाज से ये अक़्स संवर जायेगा।

धडकनें बचा के रख बेवजह न ज़ाये कर,
लम्हे को ख़ास माशूक़ जब गेशू तेरे सजायेगा।

इस तस्फ़िया में रहबर नामाबर को कम न समझ,
आज इधर आया है तो कल को उधर जायेगा।
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शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

वाह वाह बहुत सुंदर

प्रपोजल
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