कविताअतुकांत कविता
एक छोटा फूल
सफेद रंग का
रुई सा हल्का
ओस की बूंद सा पारदर्शी
एक श्वेत चादर में लिपटा
बर्फ की परत सा
एक तितली
उससे लिपटी
लग रही है
एक बड़े फूल सी
काली पीली
काली रात सी
पीले चांद सी
कहीं उनके बीच से
रास्ता बनाकर
निकल रही
हरी हरी पत्तियां
जैसे कह रही
उनके कानों में
मैं भी तलवार सी
नुकीली हूं
चीज मैं अलबेली हूं
तुम्हें देती हूं मैं
अपने हृदय में स्थान
थाम लेती हूं
तुम्हें अपनी बाहों में
फिर कोई बताये कि
मैं कहां अकेली हूं।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) - 202001