कहानीलघुकथा
हम होंगे कामयाब ---
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सुमि आज बच्चों की आपस की बातें कान लगा कर सुन रही थी । आज उसकी सासु जी का जन्म दिन था । जब एन सी आर में फ्लैट लेने का समय आया तब उसके पति व दोनों ने एक ही टावर में फ्लैट लेने की योजना बना ली थी । सुमि की और दोनों ननदों काआपस में बहुत अच्छा तालमेल था । तीनों परिवार के बच्चे बहुत परेशान थे सासु यशोदा जी को कैसे मनाया जाये क्योंकि वह कोरोना के भय से बहुत भयभीत थी । उनको डर था कि पति तो बहुत पहले उसे अकेला छोड़ गये अगर अब उनको इस बीमारी ने घेर लिया तो मेरे बच्चे बहुत परेशान हो जायेंगे।
ये एक ऐसी आपदा आगयी थी कि उनकी सब बुजुर्ग सहेलियां अपने फ्लैटों में बन्द थी । कितने दिनों से कोई नहीं मिल पा रहा था । हर टावर में कोई ना कोई इस बीमारी से जूझ रहा था । यशोदा जी अपने कमरे की खिड़की से एम्बुलेंस की आवाजें सुनती रहती थी । तीनों परिवारों ने आज तय कर लिया था कि मां के दिल से भय निकालना बहुत जरूरी है। मां दोपहर को कमरा बन्द करके सो जाती थी । जब वह सो रही थी उसी समय उसी समय परिवार की सबसे छोटी नटखट पलक ने दरवाजे पर आकर जोर जोर से गाना शुरू करदिया ।
". हम होगे कामयाब एक दिन मन में है विश्वास ऐसा है विश्वास एक दिन "
यशोदा जी किवाड़ खोल कर देखती हैं उनके परिवार के बच्चे और बड़े गुब्बारो पर मास्क पहना कर खिड़की से बाहर छोड़ रहे हैं और कहने लगे मां दादी नानी हैप्पी बर्थ डे । हम जीतेगे कोरोना उड़ जायेगा गुब्बारे की तरह और यशोदा जी सबको अपने आगोश में ले लिया बोली हां बच्चों अब मुझे कमजोर नहीं होना बल्कि हर परिस्थिति में कठोर होना है और हम कामयाब होगे एक दिन ।
स्व रचित
डा. मधु आंधीवाल