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मेरे मनवा अब मत रोओ - Rashmi Sharma (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

मेरे मनवा अब मत रोओ

  • 258
  • 4 Min Read

मेरे मनवा अब मत रोओ

सुख की बारिश में भिंगोगे
दुख के अब काँटे ना बोओ
मेरे मनवा अब मत रोओ

बीत रही जो रीत रही है
सदियों के दिग्दर्शन से
है आदर्श सामने तेरे
समय के निज अन्तर्मन से
जब काँटों की सेज मिली है
फूलों पर भी सोओगे
धीरज तजकर जीने वाले
तेरा क्या जो खोओगे

क्या क्या पाया क्या खाओगे
इन सबकी दुविधा छोड़ो
मेरे मनवा अब मत रोओ

समय बड़ा बलवान रहा है
किसी की ये क्यूंकर माने
किसी के सिर पर ताज दिया है
किसी ने तेवर पहचाने
किसी से नाता टूट गया
किसी से नाता जोड़ोगे
प्राण पखेरू फूर्र उड़ जाये
कब तक इसे अगोरोगे

जीवन का उद्देश्य समझकर
इसकी पावन नईया मोड़ो
मेरे मनवा अब मत रोओ

रश्मि शर्मा

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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

waah bahut khoob 👌🏻

Rashmi Sharma3 years ago

धन्यवाद नेहा जी

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