Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
लावारिस दीदी - Madhu Andhiwal (Sahitya Arpan)

कहानीलघुकथा

लावारिस दीदी

  • 263
  • 7 Min Read

लावारिस दीदी
*************
एक नाजुक सी सुन्दर सी मां बाप की राजकुमारी ऐसी थी दीदी । दादी तो पैर ही जमीन पर नहीं रखने देती थी पर उस समय लड़कियों की शिक्षा से अधिक घरेलू कामो को अधिक महत्व दिया जाता था और दादी और मां ने हर काम में उनको निपुण कर दिया । शादी भी 15 साल की थी कर दी गयी । सुसराल भी मिली तो वहाँ भरपूर सदस्य थे ।
छोटी उम्र और पूरा काम उस पर तीन बच्चे पांच साल में पैदा हो गये । पति भी रसिक मिजाज आये दिन व्यापार के सिलसिले में शहर से बाहर रहना पर मजाल जो अपने पति की थोड़ी सी बुराई सुन लें । पति के व्यसन ऐसे थे कि आर्थिक हालत नाजुक होने लगी । आये दिन मायके आजाती रो रो कर मां और दादी की हमदर्दी पा लेती और आर्थिक मदद ले जाती । भाग्य की विडम्बना पति का लम्बी बीमारी के बाद देहान्त हो गया । हिम्मत करके बच्चों को पढाया बच्चे अच्छे कमाने लगे ।शादी करके बहू घर आगयी पर बहुयें थी नये जमाने की सास उन्हें कैसे भी सहन नहीं हुई आये दिन घर में कलह । दीदी कुछ समझ नहीं पारही थी जिस घर को बनाने में कितना कष्टमय जीवन व्यतीत करा , आज बहुयें कह रही हैं कि पति हमारे हैं और हमारा घर है । रात को पानी पीने उठी तो तीनो बेटे और बहुयें एक कमरे में थे बातो की आवाज सुन कर रूकी बहुये कह रही थी कि बुढ़िया को किसी वृद्धा आश्रम में छोड़ आओ । दीदी बहुत दुखी हो गयी और रात को ही घर छोड़ दिया ।
बेटो ने बहुत तलाशा वह नहीं मिली चार दिन बाद एक लाश गंगा किनारे मिली वह दीदी थी । पुलिस ने लावारिस समझ कर दाह संस्कार कर दिया ‌।
स्वरचित---
-----------
डा. मधु आंधीवाल एड.
अलीगढ़ उ.प्र

FB_IMG_1618926888786_1619265670.jpg
user-image
नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत बढ़िया।

Madhu Andhiwal3 years ago

आभार

दादी की परी
IMG_20191211_201333_1597932915.JPG