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वीर सिपाही - Dipti Sharma (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

वीर सिपाही

  • 280
  • 4 Min Read

नमन मंच
दिनांक --२०/०४/२०२१
आयोजन- #चित्राक्षरी_आयोजन
विषय-- वीर सिपाही

बाँधे सर केसरिया बाना, आगे बढ़ते जाना है ।
आँखों में आँखें डाल आज, दुश्मन मार भगाना है।

ठेकेदार नफरतों के सुन ,भारती नहीं बेचारी।
वीर सिपाही कर रहे यहाँ, माँ की पहरेदारी।
घर-द्वार छोड़कर अपना अब , माँ का कर्ज चुकाना है।

बाँधे सर ,,,,
आँखो में आँखें, ,,,

माँ- पत्नी तकती है राहें ,कब सैनिक आयेगा।
मस्तक भारत का ऊँचा कर, तिरँगे को लहरायेगा।
वीरों को तो बस भारत के,चरणों में झुक जाना है।

बाँधे सर ,,
आँखो में आँखे, ,

जान हथेली पर ले चलते, ये सैनिक मतवाले।
बेखौफ निडर हो के रहते , ये सीमा के रखवाले।
वसुधा के सीने से अब तो, शत्रुओं को मिटाना है।

बाँधे सर केसरिया बाना, आगे बढ़ते जाना है।
आँखों में आँखें डाल आज, दुश्मन मार भगाना है।

दीप्ति शर्मा "दीप"
जटनी( उड़ीसा)
स्वरचित व मौलिक

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शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

बहुत सुंदर

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

वाह बहुत खूब 👌🏻

Dipti Sharma3 years ago

धन्यवाद आपका

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