कविताअतुकांत कविता
होकर मजबूर रह रहे हैं हम सब दूर-दूर,
कोरोना ने कर दिया हमें इतना मजबूर।
बन कर रहना है हमें एक-दूसरे का साहस,
भगाना है हमें देश से कोरोना नाम का वायरस।
बिना घबराए पालन करना है सारे नियम,
मास्क, सेनिटाइजर, दो गज की दूरी का पालन करेंगे हम।
योग कर तन-मन को बनायेंगे तंदरुस्त हम,
रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बनायेंगे मज़बूत हम।
तुलसी,लौंग, इलायची,अदरक बहुत गुणकारी है,
इसमें गुड़ शहद मिलाकर बने काढ़ा का करना सेवन है।
आयुर्वेद को हम भुल चुके थे पीछे जो,
आज बन गया है हमारा ढाल वो।
साफ-सफाई का भी रखेंगे विशेष ध्यान हम,
स्वच्छ मन से करेंगे स्वच्छ तन का निर्माण हम।
भुल कर आपसी रंजिशो को,
आगे आकर अपनाये हम भाईचारा को।
आक्सीजन की हो रही है किल्लत,
पहले पानी अब हवा खरीद रहे हैं हम।
पेड़ लगाए बचे पेड़ों की करे सुरक्षा हम,
अब भी सुधार सकते है अपनी हालात हम।
कर विश्वास खुद पर और उससे भी ज्यादा ईश्वर पर,
पार लगायेंगे हमारा भी विश्वास रख ईश्वर पर।
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