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मां की महिमा - Ruchika Rana (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

मां की महिमा

  • 323
  • 2 Min Read

कविता - मां की महिमा

माँ दुर्गा तेरे रूप अनेक,
महिमा तेरी अपार,
तू सद्गुणों की खान है,
सुख का है भंडार,
सद् जनों की रक्षक है तू,
दुर्जन का करती संहार।
ममतामयी तेरे आँचल में,
हो जाए दुखों का नाश,
पृथ्वी तुझसे ज्योतिर्मयी,
उज्जवल है आकाश।
तेरी कृपा दृष्टि हो,
इतना कर उपकार,
सत्य के पथ पर चलती रहूँ,
कभी न मानूँ हार।
स्वरचित- रुचिका राणा

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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

आपकी रचना प्रत्तियोगिता में पोस्ट नही हुई है।

Ruchika Rana3 years ago

ऐसा क्यों...? प्रतियोगिता के लिए ही पोस्ट की थी मैंने तो, कृपया कारण बताएं 🙏🙏

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत खूब बस अपनी प्रोफाइल फोटो mtlb dp और लगा लीजिये।

Ruchika Rana3 years ago

जी ठीक है, धन्यवाद

प्रपोजल
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