कवितालयबद्ध कविता
कविता - मां की महिमा
माँ दुर्गा तेरे रूप अनेक,
महिमा तेरी अपार,
तू सद्गुणों की खान है,
सुख का है भंडार,
सद् जनों की रक्षक है तू,
दुर्जन का करती संहार।
ममतामयी तेरे आँचल में,
हो जाए दुखों का नाश,
पृथ्वी तुझसे ज्योतिर्मयी,
उज्जवल है आकाश।
तेरी कृपा दृष्टि हो,
इतना कर उपकार,
सत्य के पथ पर चलती रहूँ,
कभी न मानूँ हार।
स्वरचित- रुचिका राणा
आपकी रचना प्रत्तियोगिता में पोस्ट नही हुई है।
ऐसा क्यों...? प्रतियोगिता के लिए ही पोस्ट की थी मैंने तो, कृपया कारण बताएं 🙏🙏
बहुत खूब बस अपनी प्रोफाइल फोटो mtlb dp और लगा लीजिये।
जी ठीक है, धन्यवाद