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बृक्ष बचाओ - पं. संजीव शुक्ल 'सचिन' (Sahitya Arpan)

कविताछंद

बृक्ष बचाओ

  • 175
  • 5 Min Read

#विषय 👉 #शाखी
#विधा 👉 किरीट सवैया वर्णिक छंद- (8 भगण) 211*8 =24 वर्ण
मापनी- 211 211 211 211 211 211 211 211

.... रचना 👇
_________________ ०१ _________________
पादप जीवन सार सखे बिन, वृक्ष नहीं परिवार सदा शुभ।
मंगल कारक पेड़ धरा पर, देत हवा सुखसार सदा शुभ।
वृक्ष बचे भव हो अति सुन्दर, मानुष का व्यवहार सदा शुभ।
नीर समीर मिले जग को हिय, में उपजे सुविचार सदा शुभ।

____________________ ०२ ____________________
काट रहे सब पेड़ नहीं यह, सोच रहे परिणाम भयावह।
मान रहे हर बात नहीं तुम, जान रहे यह काम भयावह।
घोर घटा – घनघोर नहीं पर, नीर बिना अभिराम भयावह।
वृक्ष बिना अति दुष्कर जीवन, स्वास चले बिन धाम भयावाह।।

____________________ ०३ ____________________
स्वर्ग बने वसुधा अपनी सुख, वैभव पूरित हो मनु का मन।
स्वास चले नित भूख मिटे पर, नीर बिना कछु हो न अपावन।
जीव रहे जन-जीवन भी जब, वृक्ष रहे भव हो मनभावन।
पादप के बिन प्राण नहीं वसुधा पर भी न बचे शुचि सावन।

✍️पं.संजीव शुक्ल 'सचिन'
मुसहरवा (मंशानगर) पश्चिमी चम्पारण, बिहार
...
पूर्णतः स्वरचित व स्वप्रमाणित

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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 4 years ago

बहुत खूब 👌🏻

प्रपोजल
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