कविताअतुकांत कविताअन्य
मोहब्बत सी हो गई है, तेरे एक इंतजार में,
मुझे चाहत सी हो गई है, तेरे एक खयाल में।।
अब क्या बताएं इस जिंदगी का हाल,
अब तो टूट सा गया हूं,
एक मुलाकात के भंवर में।।
जब चाहत थी, तो दिन और रात का पता नहीं,
अब है, नहीं कोई ख्वाहिश,
तो जिंदगी का कुछ पता नहीं।।
यह तो शौक है, जिंदगी का,
जिसमें जिसकी चाहत बसी हो।।
नदियां भी सूख गई, तारे भी ओझल हो गए,
अब तमन्ना नहीं किसी और की,
बस तमन्ना नहीं किसी और की।।