कहानीलघुकथा
#शीर्षक
भरोसा शेरावाली पर ...
बेटे अरुण का फोन आने के साथ ही कुसुम ऐसी कठिन परिस्थितियों में घिरी है जिससे निकलने की कोई राह नहीं नजर आ रही , उस पर से पति साहेब को संभालने की जिम्मेदारी भी आन पड़ी है।
आज सुबह से ही बेटे अरुण का जी अनमना सा था।
फिर भी औफिस के लिए निकल गया लेकिन वहाँ पंहुचते ही उसे बुखार आ गया ।
घर पर उसने मम्मी को फोन लगाया
फोन पर उसकी आवाज सुन कुसुम चौंक गई थी ,
" अरुण कभी औफिस से मुझे तो फोन नहीं करता है "
यह सोचती हुयी चिंतित कुसुम ने फोन उठाया
उधर से बेटे की परेशान आवाज ,
" मम्मी मुझे हाई फीवर आ गया इधर से ही हौस्पिटल जा रहा हूँ आप सब अपना ध्यान रखना "
वह लगभग रो पड़ने को है ।
फिर तो पूरे घर में जैसे बवंडर सा आ गया कुसुम ने किसी तरह मन को तसल्ली दी कि सब ठीक ही होगा ।
अभी कल रात तक तो सब अच्छा था अरुण ,प्रिया और वे खुद साहेब के साथ बैठी पिक्चर देख रही थीं ।
अरुण बीच में ही उठ सोने चला गया था।
इधर कुसुम से अरुण के बुखार आने की बात सुन प्रिया पूछ रही है ,
" मम्मी क्या हुआ होगा ? "
कुसुम क्या जवाब दे उसका हृदय तो खुद ही छलनी हुआ जा रहा है फिर भी खुद को धीरज बंधाती हुयी बोली ,
" प्रिया भरोसा रखो नवरात्रि चल रही है माता रानी सब कल्याण करेंगी " ।
उस पूरे दिन कुसुम और प्रिया दरवाजे पर बैठी रही साथ में साहेब भी परेशान हालात में अन्न -जल त्याग कर बैठे रहे।
उनकी पल-पल की हालत देख कुसुम कह उठी ,
" आप लोग परेशान मत हों मैं माँ हूँ मेरे रहते इस दुनिया के कोई दर्द कोई तकलीफ मेरे बेटे को नहीं होने दूगीं "
अभी नवराते चल रहे हैं ,
भले ही महामारी की दूसरी लहर के चलते मंदिरों में जाना वर्जित हो । लेकिन हर घर में माँ के स्वागत हो रहे हैं "
" चलो प्रिया हम घर में ही कीर्तन -भजन करते है " ,
यह कहते -कहते कुसुम की आवाज भरभरा गई ,
लेकिन फिर भी वह गा उठी ,
" माँ तुझ पर ही भरोसा मेरा बनाऐ रखना
शेरावाली हमें तुम पर ही नाज
कोरोना के नाश करना मां नाश
करना " ।
प्रिया उनका साथ दे रही है और
कर्मकांड में विश्वास नहीं रखने वाले साहेब भी धीमी आवाज में बुदबुदा रहे हैं।
स्वरचित / सीमा वर्मा
पटना
अच्छी रचना मगर जाने क्यों अधूरी लगी। अगर इसमें अरुण को ठीक होते दिखातीं तो मेरे ख्याल से ज्यादा ठीक लगता
होना ही दर्शाना था 🙏🏼🙏🏼
जी दिल से धन्यवाद अंकिता आपका सुझाव स्वागत योग्य है ।दरअसल यह सत्य कथा ही है और लिखने के पीछे मंशा है साहेब के कर्मकांडी न होते हुए भी ईश्वर पर अटूट विश्वास