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कौन हूं मैं? - Manisha Roy (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

कौन हूं मैं?

  • 415
  • 7 Min Read

मैं आज़ाद हिंदुस्तान की एक कहानी हूं
सींचते हो अपने खेतों को जिससे
हां मैं वही पानी हूं

कर रहे हो टुकड़े मेरे
बांट रहे हो मुझे भागों में
एक चादर सी थी मैं सुकून की कभी
क्यों बदल रहे हो मुझे धागों में

एक आकार था मेरा कभी
अब मेरी तस्वीर बनाना आसान नहीं
खुले आसमान के नीचे दौड़ा करते थे बच्चे कभी
शायद अब मेरे पास वो खुले मैदान नहीं

जहां खेती हुआ करती थी कभी
वहां अब हो रहे है जंग
हैरान है जानकर दुनिया भी
क्यों लोग बदल लेते है अपने रंग

हर हिस्सा मेरा अब ज़ख्मी है
हर सोच मेरी अब घायल है
क्यों बांट रहे हो मुझे
क्यों हर चीज़ मेरे बंटवारे पर कायल है

अब बस कर दो इन बातों को
जो बांट रहे हैं मेरे शरीर को
कुछ ढील तुम भी दे दो कुछ जिद्द तुम भी छोड़ो
जिनका सुलह नही कर सकते वो चीज़ें दे दोना फकीर को

मत करो मेरे हिस्से अब और
क्या रखा है जाति धर्म में
इनके आधार पर कोई बड़ा या छोटा नही होता
अब छोड़ दो रहना इस भ्रम में

मत काटो मेरे पंख
मैं तो सोन चिरैया हूं
भारत मां तो मैं हूं ही सबकी
बस एक बार कह दो कि मैं भी एक प्यारी सी बिटिया हूं

मत रंगो मुझे अब और
अपनी सोच की स्याही से
थक चुकी हूं अब मैं
हो सके तो मेरी प्यास बुझा देना अमन की सुराही से

मुझे दफन मत करना कभी
पंजाब के उन खेतों में
कही मैं फिर से न हरी भरी जो जाऊं
जाके उन हाथों में

क्या मेरा सच में कोई अस्तित्व बचा है
या नदियों को छोड़ सागर में मिलता है जो
मैं बस वो खरा पानी हूं
हां मैं आज़ाद भारत की आवाज थी अब तक
पर क्या मैं सच में अब भी आज़ाद हिंदुस्तान की कहानी हूं

कौन हूं मैं?

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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 4 years ago

बहुत सुंदर

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 4 years ago

बहुत सुंदर रचना है। थोड़ी बहुत टंकण त्रुटियाँ है। वह देख लीजियेगा। बाँट, तस्वीर, अब हो रही है जंग, स्याही, जिनकी सुलह, दो ना, बंटवारे,

Manisha Roy4 years ago

धन्यवाद आपका, जी बिलकुल :)

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