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रूह से रूह का मिलन - jyoti batra (Sahitya Arpan)

कवितागीत

रूह से रूह का मिलन

  • 331
  • 3 Min Read

अपना तो है रूह से रूह का मिलन
जिस्मों से थी , अपनी सांसे जुड़ी
मांगा है तुमको ही सातो जनम
ना होगी कभी दिल से दिल की बेरुखी
अपना तो है ....

तुमसे जुदाई, दिल सह ना सका
अश्कों ने भी दामन,ना छोरा मेरा
दिल की विरांगी में तेरी यादें छुपी
कम ना होगी मोहब्बत कहती है दिल्लगी

ना मिल सके, इस जहां में तो क्या
उस जहां में तो होगा, अपना ही आशियां
अब रस्मो रिवाज़ो की किसको पड़ी
हाथो से जो हाथो की, लकीरें जुड़ गई
अपना तो है रूह से ......

अपना तो है.....
जिस्मों से थी......

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शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 4 years ago

बहुत सुंदर

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 4 years ago

बढ़िया

प्रपोजल
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