कविताअतुकांत कविता
ऐ पंछी
तुम उड़ रहे आकाश में
मैं तुम्हारी छवि देखूं
पानी की बरसाती में
पंख फैलाकर उड़ते हो
जमीन पर उतरकर
मेरे पास भी नहीं आते
जितना जोर से
मैं तुम्हें पुकारूं
उतना ही दूर तुम
मुझसे कहीं चले जाते
तुम आसमान के
सितारे हो
मुझे तो मेरी जान से भी ज्यादा
प्यारे हो
मुझे भी उड़ना सिखा दो और
ले चलो
सात समंदर पार कहीं
मेरी पालतू बिल्ली को भी
साथ ले लेना
इसने
इस पल तक न छोड़ा
जमीन पर मेरा साथ
कभी।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) - 202001