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अल्फाबेट - पं. संजीव शुक्ल 'सचिन' (Sahitya Arpan)

कविताछंद

अल्फाबेट

  • 325
  • 9 Min Read

नमन साहित्य अर्पण मंच
शब्दों के चयन की सूची-
सेब, गेंद, बिल्ली, कुत्ता, हाथी, फल, गन, घोड़ा, भारत, जोकर, पतंग, शेर, बंदर, नाक, एक, राजकुँअर, प्रश्न, दौड़, बेटा, चाय, चाचा, सब्जी, खिड़की, जलतरंग- जस- वाद्य, पीला, शून्य

विधा- सरसी छंद (१६/११)
👇 रचना 👇

A #सेब लिए पापा है आये, बोलें मधुरिम बोल।
B #गेंद छोड़ अब खाले इसको, फिर कर लेना गोल।।
C #बिल्ली मौसी देख रही है, उसे न जाना भूल।
D #कुत्ते ने उसको दौड़ाया, उड़ा उड़ाकर धूल।।

E #हाथी झुण्ड लिए आया है, करने लगा कमाल।
F #फल खाकर फिर वो बौराया, देखो मचा धमाल।।
G #गन हाथों में लिए शिकारी, करने लगा शिकार।
H #घोड़ा देख उसे है भागा, आफत है सरकार।।

I #भारत के बच्चों सुन लेना, बोल रहा हूँ बोल।
J #जोकर बन सर्कस में नाचूँ, बजा बजाकर ढोल।।
K #पतंग उड़ाना खूब मगर तुम, पढना भी दिल खोल।
L #शेर बंद पिंजर में देखो, आखिर दुनिया गोल।।

M #बंदर मामा नाच दिखाते, दुल्हनिया के संग।
N #नाक सिकोड़े नाच रहे है, दिखा रहे है रंग।।
O #एक अकेला सबपे भारी, पढा लिखा संतान।
P #राजकुँअर पढकर ही बनते , वर्ना कुल का हान।।

Q #प्रश्न पूछने से बढता है, अपने. उर का ज्ञान।
R #दौड़ लगा कसरत करने से, तन .होता बलवान।।
S #बेटा हो गर ज्ञानवान तब, बढे बाप का मान।
T #चाय पिलाते लोग बुलाकर, देते हैं सम्मान।।

U #चाचा - चाची हमको प्यारे, करते हमको प्यार।
V #सब्जी - चावल हमें खिलाते, सुंदर है व्यवहार।।
W #खिडक़ी से ताकाझांकी अब, करता है सरपंच।
X #जलतरंग_जस_वाद्य_यंत्र से, सजा रहा है मंच।।

Y #पीली हल्दी है गुणकारी, हरता है सब दर्द।
Z #शून्य बने रहते नारी बिन, जैसे सारे मर्द।।
अल्फाबेट से गढ़ी कविता, बच्चों पढ़ना आज।
पढ़ लिख कर चाहे जो बनना, करना .जग पे राज।।
✍️पं.संजीव शुक्ल 'सचिन'
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण, बिहार
घोषणा: यह रचना पूर्णतः स्वयं रचित है।

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Kumar Sandeep

Kumar Sandeep 3 years ago

निःसंदेह एक शिक्षात्मक रचना

पं. संजीव शुक्ल 'सचिन'3 years ago

सादर आभार वंदन आदरणीय श्री

प्रपोजल
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