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तेरा वज़ूद - Chandan kumar Jha (Sahitya Arpan)

कवितानज़्मगजल

तेरा वज़ूद

  • 167
  • 4 Min Read

तिरी खुशी के लिए आंखों से आँसू बहा लिया,
हमने भी तेरे नाम का टैटू गुदा लिया।

फिरते रहे मयख़ाने के बाहर यूँ दर-बदर,
शाकी ने बुलाया तो नज़रे चुरा लिया।

हम तेरी इबादत में यूं मशगूल हो गए,
अपनो ने पुकारा तो दामन छुड़ा लिया।

बरसों से कर रखे थे कमरे में अंधेरा,
एक दीद के लिए तिरी, शम्मा जला लिया।

आदत सी हो गयी थी मुझको अकेले की,
बस तिरी एहतराम में जहां' बुला लिया।

तुमने मुझे सिखाया है जीने के मायने,
अब तक तो मायनों ने अपना घर बना लिया।

पागल मुझे कहते हैं ज़माने भर के लोग,
माथे पे फैले हाथ में सब ग़म भूला लिया।

पामाल ही तो था मैं ज़माने भर के लिए,
तिरी साथ ने आबलों को मरहम बना लिया।

फ़क़त आरज़ू है अब कि कूच कर जाऊँ,
कदम बढ़ाया, फिर तिरी याद ने पीछे बुला लिया।

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शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

वाह बहुत खूब

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत खूब 👌🏻

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