Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
सुहानी प्रेमिल शाम - सीमा वर्मा (Sahitya Arpan)

कहानीप्रेम कहानियाँ

सुहानी प्रेमिल शाम

  • 149
  • 12 Min Read

लघुकथा
#शीर्षक #

सुहानी प्रेमिल शाम...

फरवरी का महीना चारो तरफ वासंती बयार बह रही है तन्मय अपने कौलेज की तरफ से जानेवाले हिस्टोरिकल टूर पर राजस्थान गया है ।
जहाँ तीसरे दिन वे सब रणथंभोर घूमने गये थे वापसी में सबकी इच्छा चाय पीने की हो रही है।
बस एक टी स्टौल पर रुक गई सारे लड़के उतर गए जिनमें तन्मय भी है ।
अभी चाय नाश्ते का दौर चल रहा है कुछ ने फोटोग्राफी शुरू कर दी कुछ मस्ती में भर कर गीत गुनगुना रहे।
कुल मिला कर चारो तरफ एक तो उम्र का असर और कुछ मौसम के निराले प्रभाव से एक अलग ही शमा बंध गया था ।
तन्मय भीड़ से अलग पैंट की जेब मेंं हांथ डाले कच्चे रास्ते पर काफी दूर निकल गया था ।
आगे का रास्ता एक जगह थोड़ा संकरा हो गया था जहाँ कच्चे रास्ते की दोनों तरफ झरवेरी के झार हैं ।
वहाँ तन्मय को ठिठक कर रुक जाना पड़ा क्योंकि रास्ते के ठीक बीच में एक नवयौवना जिसकी साड़ी का एक कोर उसी झार में अटक गया था ।
और वह उसे छुड़ाने के लिए कुछ इस तरह से झुकी हुयी थी कि पूरा रास्ता ही बन्द हो गया था ।
आह तन्मय ने मन ही मन सोंचा कितना सुखद है यह जगह और उसे देख मुस्कुराते हुऐ उसके कोर छुड़ाने में मदद करने लगा ।
अब वह कांटे को अलग कर रही थी जिससे उसका आंचल खिसक गया था और उसकी कमर और पीठ का हिस्सा बिल्कुल खाली हो गया था ।
तन्मय ने कभी ऐसी चांदी जैसी चमकदार पीठ इतने करीब सेदेखी नहीं थी वह खुद को डूबा-डूबा सा महसूस कर रहा है ।
वह उससे उसका नाम पूछना चाहता है पर बोल नहीं पा रहा,
सिर्फ उसकी सुगंध को महसूस कर रहा है जो अब तक की सारी सुगंधों से अलग थी , वह उस सुगंध को अच्छी तरह सूंघना चाहता था कि फिर उस सुगंध को भूल ना सके ।
उसने उस लड़की की आंखों में झांकना चाहा मानों कुछ पूछना चाहता हो ।
ठीक उसी समय उस लड़की ने भी अपनी निगाहें तन्मय की तरफ उठाई जैसे कहना चाहती हो --
हां, कहो ।
तन्मय ने पूछा -- क्या नाम है तुम्हारा ?
वह कुछ कहती ठीक उसी समय कांटे से उसकी साड़ी छूट गई ।
वह खड़ी हो गई उसके साथ जवाब पाने की मुद्रा में तन्मय भी खड़ा हो गया ।
उस लड़की ने खिलखिला कर कहा , " अनामिका " ।
और साड़ी के कोर से अपने कंधे , माथे , वक्ष और बाजुओं के पसीने पोछती कही वो देखो उस मुहाने के आगे मेरा घर है ।
वे दोनों साथ- साथ चलने लगे ।
तभी अचानक बस की तीव्र गति से आती हौर्न की पीं- पीं करती आवाज से तन्मय ठिठक कर खड़ा हो गया ,
उसे ऐसा लगा कि उसके पीछे-पीछे भाग रहा था अभी उसकी तन्द्रा टूटी है थकी सी आवाज में कहा,
" मुझे देर हो रही है जाना होगा "
सुन कर रुआंसी हुयी लड़की ने उसके हाँथ पकड़ माथे से लगा लिए मानों कहना चाह रही हो ,
" फिर आने तक के लिए अलविदा दोस्त " तन्मय को बस की आवाज इसके पहले शायद कभी इतनी कर्कश नहीं लगी थी ।

स्वरचित / सीमा वर्मा
पटना ( बिहार )

FB_IMG_1617766278769_1617775061.jpg
user-image
नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 4 years ago

मन को छूती हुई सी कहानी ❤️

सीमा वर्मा4 years ago

स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद नेहा जी

दादी की परी
IMG_20191211_201333_1597932915.JPG