कविताबाल कविता
चॉकलेट का घर
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संडे की प्यारी सुबह में ,
मैंने सपना देखा प्यारा
ना राजा ना रानी उसमें ,
आओ पापा तुम्हें सुनाऊँ।
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चाकलेट का एक घर बनवाऊं
खुशियों का संसार सजा लूँ
घर होगा कितना न्यारा सा
चाकलेटी और प्यारा सा।
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कैडबरी की हों दीवारें,
और पर्क से खिड़की बने
दरवाजे का कहना ही क्या
उनपर डेयरी मिल्क सजे ।
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पौपिन्स के बल्ब कितने चमकीले,
रंग- बिरंगी बगिया होगी
चॉकलेट के बागों में मेरे
किंडर जौय भी खूब फलेंगे।
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फाईव स्टार के पेड़ लगे हों,
फव्वारों में जेम्स रंगीले
किट - कैट से बाउंड्रीवाल बनाऊँ
फेरेरो - रौशेल की घेरा - बंदी
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चुपके से एक राज बताऊँ !?
चाकलेट आइसक्रीम भी खूब मिलेगी
स्विमिंग पुल में स्वीम करेगी ।
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सुनो दोस्तों तुम सब आना
धमा - चौकड़ी खूब मचाना
आइसक्रीम, चॉकलेट जी भर खाना।
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मम्मी को पर नहीं बताना
कपड़े गंदे हो गए सारे
लगेगी सबको खूब पिटाई ।।
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पल्लवी रानी
मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित
कल्याण, महाराष्ट्र