कवितागीत
लो आज़ पूरी हो गई हमारी अधूरी कहानी...
कभी सोचा न था ...
यूं बिखरे पलों को,
समेटेंगें हम दोनों इस जहां में,
कुछ इस तंरह...
लो आज....
मौत भी शायराना सी लगने लगी,
थाम लिया जो सारे जज़्बातों को हमने,
यूं जिंदगी का पैगाम समझ,
कुछ इस तरह...
लो आज़ ...
जिंदगी तो साथ गुज़ारी नहीं,
पर मौत तो साथ हुई नसीब हमें,
हम हैं शुक्रगुज़ार उस प्रभु के,
कुछ इस तरह...
लो आज़ पूरी हो गई हमारी अधूरी कहानी....
मौलिक गीत
नूतन गर्ग (दिल्ली)