कविताअतुकांत कविता
क्या जानती हो
तुम क्या जानती हो
मेरे बारे में.....?
यहीं न कि मैं
तेरे पीछे पागल
हो चुका हूँ
तेरे प्यार में पड़ कर.....!
तुम यही सोचती हो न
कि मैं अगर बात
नहीं करूंगी तो भी
वो मुझसे दूर
नहीं हो सकता.....!
तुम यही मानती हो न
कि न मिलने और न
बातें करने से भी
मैं तुम्हें छोड़
नहीं सकता.....!
हाँ!तुम्हारा ये सोचना
बिल्कुल सही है...
नहीं छोड़ सकता
तुम्हें अब अधर में...
जिंदगी के सफ़र में.......!
सोचना कभी मेरे बारे में
फुरसत में बैठ कर
कितना याद करता हूँ तुम्हें
और तेरा बात न करना
मुझे कितना दुःख देता है.......!!
सन्दीप चौबारा
फतेहाबाद
२१/०८/२०२०
मौलिक एवं अप्रकाशित