कविताअतुकांत कविता
यह मौसम का मिजाज
आज कुछ बदला बदला है
लगता है
बारिश हुई है
पानी बरसा है
थोड़ा बहुत
रास्ते का आंचल भी
थोड़ा थोड़ा
गीला गीला है
पैर न फिसल जाये
कहीं मेरा जो
इन पानी से भरे रास्तों पर
चलूं
परछाई से अपनी कहीं न
डर जाऊं जो
पानी की लहर मुझे
झकझोरकर हिले
पलभर रुक जाती हूं
कहीं कोई सूखी जगह तलाश कर
धूप का एक टुकड़ा उगे और
सुखा दे पानी को
एक भाप बनकर उड़ा दे तो
साफ रास्ता पाकर
फिर मैं अपने घर की तरफ
हौले हौले कदमों से बढूं।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) - 202001